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गांव के सपनों से भी गए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

गांव के सपनों से भी गए

  • 55
  • 1 Min Read

शहर के सपनों ने बर्बाद करके रख दिए
हम अपने गांव के अपनों से भी गए,

शहर से गांव की रूखी सूखी अच्छी थी
यहां आकर गांव के सपनों से भी गए!

@"बशर"

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