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हैनहीं रिहाई की रज़ा तेरी - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हैनहीं रिहाई की रज़ा तेरी

  • 9
  • 1 Min Read

ना है जीने पर इख़्तियार और न बस में क़ज़ा तेरी,
बख़्शी खुशी के लिए ज़िन्दगी बनी क्यूँ सज़ा तेरी!

अजब है कफ़स येह ज़िस्म का रुह केलिए 'बशर',
चाहकर कैदसे ख़लासी हैनहीं रिहाई की रज़ा तेरी!
@"बशर"

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