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कवितानज़्म
सदा जो कल थी आज वही है, लहज़ा वही है आवाज़ वही है! लफ़्ज़ों में वज़न निदामें कशिश, येह चिरपरिचित अंदाज वही है! माना के पीरी की आहट हो गई, अदा जो कल थी आज वही है! अपनी बात को ज़ाहिर करने का अंजाम सहीहोगा आगाज़ सही है! ©️ "बशर"