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यादों की कश्ती ढूंढर ही किनारा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

यादों की कश्ती ढूंढर ही किनारा

  • 46
  • 2 Min Read

है तुम्हारे बाद तुम्हारी याद का सहारा
साथ तुम्हारे रहे हम सदा ही बेसहारा!

हमारी यादों को ना छीने हम से कोई
बंजर सहरा हो जाएगा जीवन हमारा!

गली -गली मारा-मारा फिरता बंजारा
सहर होती नहीं सोयाहै ये शहर सारा!

टूटी नैया प्यासे हम भैया सागर खारा
यादों की कश्ती ढूंढरही कोई किनारा!

© 'बशर' بشر.

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