कवितानज़्म
है तुम्हारे बाद तुम्हारी याद का सहारा
साथ तुम्हारे रहे हम सदा ही बेसहारा!
हमारी यादों को ना छीने हम से कोई
बंजर सहरा हो जाएगा जीवन हमारा!
गली -गली मारा-मारा फिरता बंजारा
सहर होती नहीं सोयाहै ये शहर सारा!
टूटी नैया प्यासे हम भैया सागर खारा
यादों की कश्ती ढूंढरही कोई किनारा!
© 'बशर' بشر.