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कवितानज़्म
जितने ज्यादा भीड़ बढती बढती गई इन्सान उतनाही ज्यादा अकेला होता गया ला - हासिल को पाने की कोशिश में आदमी अपने हासिल को ही खोता गया!! @"बशर"