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मर मर कर जीना सरासर बेमानी है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मर मर कर जीना सरासर बेमानी है

  • 7
  • 1 Min Read

इस ज़िस्म से येह जान निकल ही जानी है
मौत केलिए अपनी जानकी क़ीमत चुकानी है

क्यूं नहीं फिर जीभरकर जिया जाए बशर
मर मर कर ज़िन्दगी जीना सरासर बेमानी है

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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