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यादों की सफ़र” - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

यादों की सफ़र”

  • 14
  • 3 Min Read

वो हुस्न का शराब पिलाकर चले गए,
मासूम दिल दीवाना बनाकर चले गए।

नजरों से अपने हमको जो गिरा न सके,
दिल से मुझको आज भुलाकर चले गए।

ज़िंदगी की राहों में अकेला कर दिया,
महफ़िल में मुझको आज रुलाकर चले गए।

जिस दिल में उनको हमने बसाया था प्यार से,
वो दिल का आशियाना जलाकर चले गए।

उनको दोष दूं या लकीरों को दोष दूं,
हाथों से सब लकीरें मिटाकर चले गए।

दुनिया में मोहब्बत का कोई नाम नहीं है,
मतलब की दुनिया है ये बताकर चले गए।

जब देखा हमने आईना, भ्रम दूर हो गया,
पल भर में सच वो हमको दिखाकर चले गए।

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