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मुकाम का पता नहीं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुकाम का पता नहीं

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मंज़िले-मक़्सूद का पता नहीं
सफ़रके मुकाम का पता नहीं

जिस कामसे आए थे यहाँपर
हमको उस कामका पतानहीं

आलम -ए -बेखुदी में हम को
अपनी पहचान का पता नहीं

गुमशुदा है यहाँ पे आदमियत
इंसान के ईमान का पता नहीं

© 'बशर' بشر.

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