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ग़ज़ल-इश्क़ की हद जानता है - रकमिश सुल्तानपुरी (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ग़ज़ल-इश्क़ की हद जानता है

  • 171
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ग़ज़ल

इश्क़ की हद जानता है बच्चा -बच्चा इश्क़ का ।
कौन कहता है बुरा होगा नतीज़ा इश्क़ का ।

इश्क़ के दरिया से है सबको गुज़रना एक दिन ,
और है सबको भुगतना ख़ामियाज़ा इश्क़ का ।

टीस, उलझन, बेकसी, दर्द, नफरत दूरियां ,
खामुसी तू ही बता अपना इरादा इश्क़ का ।

इश्क़ में खुश देख उसको क्यों परेशां लोग है ,
लोगों को भी तो मिलेगा एक मौक़ा इश्क़ का ।

इश्क़ साहिल इश्क़ मंज़िल इश्क़ इक पैग़ाम है ,
इश्क़ ख़ुद का रास्ता है इश्क़ दरिया इश्क़ का ।

साल दिन या फिर महीनों चाहिए किसको यहाँ,
ज़िन्दगी भर का सुकूँ है एक लम्हा इश्क़ का ।

इश्क़ है कायम तो रकमिश' ज़िंदगी ताजातरीन,
भूल जाती दुनिया वरना सारा किस्सा इश्क़ का ।

रकमिश सुल्तानपुरी

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

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