Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बे-सबब बे-हिसाब रश्क है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बे-सबब बे-हिसाब रश्क है

  • 89
  • 1 Min Read

क्या पता दर्पण है चेहरा है कि अक्स है
इक ज़माना अपने -आप में हर शख़्स है

इस जमाने को मग़र बशर पता नहीं क्यूँ
हर शख़्स से बे -सबब बे-हिसाब रश्क है

© 'बशर' بشر.

1663935559293_1716746894.jpg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg