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कुछ तो वज़ह रही होगी - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

कुछ तो वज़ह रही होगी

  • 90
  • 1 Min Read

कुछ तो वज़ह ज़रूर रही होगी 'बशर'
बेसबब कोई किसीसे ख़फा नहीं होता!

तजुर्बाते -इल्मो-हुनर अगर नहीं होता
अक़्सर उस काम में नफ़ा नहीं होता!

© 'बशर' بشر

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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