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विधवा व्यथा - संदीप शिखर (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

विधवा व्यथा

  • 123
  • 2 Min Read

उजड़ गया सुहाग उसका,भरी हुई जवानी में
दुःख का पहाड़ टूट पड़ा,मासूम जिंदगानी में

अब इबारत सिर्फ दर्द की,लिखती हर साँस है
खुशी की बनावट नही दिखती,इस कहानी में

मन के परिंदे कैद है,चाह कर उड़ सकते नही
कोई पताका नही फहरता, दिले राजधानी में

उजड़ा सुहाग उसका तो क्या,जीने का हक नही
क्यो सारा जीवन गुजारे, किसी की मेहरबानी में

स्वरचित-संदीप शिखर मिश्रा। #वाराणसी(U. P)

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

bahut khoob

संदीप शिखर4 years ago

शुक्रिया जी

प्रपोजल
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