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Sahitya Arpan - संदीप शिखर

कवितालयबद्ध कविता

भूख,लाचारी और खुदा

  • Edited 3 years ago
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  • 165
  • 3 Mins Read

भूख,इंसानियत और खुदा
********************

भूखा भूख से तड़प रहा,रोटी नही है तकदीर में
खुदा कोई रहमत नही बची,क्या तेरी जागीर में

ये कैसी तेरी दुनिया मौला,देता न कोई निवाला
जो लाखो फूक दे रहा है,मेरी ही हाले तस्वीर
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भूख,लाचारी और खुदा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

इंसानियत आज बहुत मुश्किल से दिखाई देती है। बहुत अच्छा लिखा है।

Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

शानदार

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

खूब

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बढ़िया

कवितालयबद्ध कविता

मुफ़लिस

  • Edited 3 years ago
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  • 153
  • 3 Mins Read

शिर्षक-मुफ़लिस


अमीरों के पैरों तले,कुचला गया मुफ़लिस
भूख लगी तो धोखा भी,खा गया मुफ़लिस

उसकी राह या परवाह,खुद उसने ही चुनी है
मौत की डगर चल कब्र में,समा गया मुफ़लिस

सपने नही अपने नही,कुछ भी नही जहा पर
सोचता
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मुफ़लिस,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

वाह

संदीप शिखर3 years ago

आभार आपका

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

ओह???

संदीप शिखर3 years ago

आभार आपका जी?

कवितालयबद्ध कविता

खुद में खूबसूरत है हम

  • Edited 3 years ago
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  • 67
  • 3 Mins Read

हम खुद में बेहद खूब है और बेहद खूबसूरत है
खुद की परवाह है हमको,हम खुद की जरूरत है

ये सूरत समाज के मनचलो ने,अपनी है बिगाड़ दी
इसलिए समाज को देखते ही,हमको होती नफरत है

बेकसूर होकर भी समाज के,हर एक दंश
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खुद में खूबसूरत है हम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मातृ-पिता ही प्रथम गुरु

  • Edited 3 years ago
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  • 222
  • 3 Mins Read

माँ जहाँ में हमे लाती है,पिता हमे बढ़ना सिखाता है
माँ खुशियाँ हमे देती,पिता गम से लड़ना सिखाता है

माँ बनती मन का दर्पण,पिता बनता दर्पण की परछाई
माँ हमे जीना सिखाती है,पिता चेहरे पड़ना सिखाता है

रिश्तों
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मातृ-पिता ही प्रथम गुरु,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितागजल

दिले अहसास हमारे

  • Edited 3 years ago
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  • 113
  • 3 Mins Read

डरे से,सहमे से और घबराये नजर आते है
ख़ौफ़जदा हमें अब तो साये नजर आते है

जिनमे पलभर का सुकू नजर नही आता
हमे सभी दर्द के आजमाये नजर आते है

किसे हमसाया कहे,किसे हमसफ़र अपना
मुझे अपनो में ही अब,पराये नजर
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दिले अहसास हमारे,<span>गजल</span>
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कवितालयबद्ध कविता

दरबदर खुदा खुद के दर से

  • Edited 3 years ago
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  • 171
  • 3 Mins Read

बूढ़ी माँ को देखा हमने,जो सड़क पर पड़ी बेसहारा
जिसकी कमजोर जिंदगी,माँग रही थी मौत से सहारा

देख कर हाल उस माँ का,रूह दर्द से कहर रही मेरी
हुआ माझी का हाल कैसा,जिसे खुद न मिला किनारा

तनबदन में जान अब नही
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दरबदर खुदा खुद के दर से,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

संदीप शिखर3 years ago

आपका शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

संदीप शिखर3 years ago

शुक्रिया जी आपका

कवितालयबद्ध कविता

विधवा व्यथा

  • Edited 3 years ago
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  • 103
  • 2 Mins Read

उजड़ गया सुहाग उसका,भरी हुई जवानी में
दुःख का पहाड़ टूट पड़ा,मासूम जिंदगानी में

अब इबारत सिर्फ दर्द की,लिखती हर साँस है
खुशी की बनावट नही दिखती,इस कहानी में

मन के परिंदे कैद है,चाह कर उड़ सकते नही
कोई
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विधवा व्यथा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

bahut khoob

संदीप शिखर3 years ago

शुक्रिया जी

कवितालयबद्ध कविता

मासूम की गुहार

  • Edited 3 years ago
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  • 106
  • 3 Mins Read

माँ तुम मुझको भी,सुला दो ना लोरी गाकर
माँ मुझे भी तुम्हारी,आँचल का सहारा देना

मेरे मौला मुझे मेरी,जन्म देने वाली याद नही
मैं ममता का भूखा हूँ,माँ मुझको दोबारा देना

मुझे बनाने वाली वो, मेरी जिंदा
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मासूम की गुहार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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SHAKTI RAO MANI

SHAKTI RAO MANI 3 years ago

सुंदर

संदीप शिखर3 years ago

धन्यवाद आपका भाई

कवितालयबद्ध कविता

गुलाम की हसरते चाहत

  • Edited 3 years ago
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  • 140
  • 3 Mins Read

पंख होते हुए भी,उड़ नही सकती
दिल गगन की पनाह, मैं पाऊ कैसे

बन्धनों की जंजीरों ने,बाँध रखा मुझे
कोई बताये चाह कर ,उड़ जाऊ कैसे

आकाश प्रिय लगता है, प्रियतम की तरह
प्रियतम से कहो मजबूर हु,मैं आऊ कैसे

बहुत
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गुलाम की हसरते चाहत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

आशावादी मन

  • Edited 3 years ago
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  • 242
  • 2 Mins Read

निराशा में भी जो आस खोज लेता है
मन मे छुपा हुआ विश्वास खोज लेता है

वो मन से फकीर और अधीर नही होता
जो खुद में उसका आभाष खोज लेता है

गरीबी,लाचारी,बीमारी जैसा भी हाल हो
घोर अँधियारो में भी प्रकाश खोज
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आशावादी मन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

धनात्मक ऊर्जा प्रदान करती रचना

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

सकारात्मक लेखन का उदाहरण है,आपकी रचना।

Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

सुंदर रचना.

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत खूबसूरत रचना... आशा का एक दीप गहन अंधकार को भी प्रकाशमय कर देता है .

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

आशा पर आकाश टिका है

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह बहुत खूब एक अर्थ प्रदान करती रचना

संदीप शिखर3 years ago

आभार जी आपका

कवितालयबद्ध कविता

खुद्दार जिंदगानी

  • Edited 3 years ago
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  • 209
  • 2 Mins Read

खुद की खुद्दारी पर है जिंदगी गुजार दी
हाथ किसी के सामने मगर फैलाया नही

मेहनत से कमाया हर एक निवाला उसने
मगर भीख माँग उसने तो कभी खाया नही

छोड़ कर गये थे कभी बच्चे उसे सड़क पर
फिर कभी कोई उसे लेने घर
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खुद्दार जिंदगानी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

कवितालयबद्ध कविता

मौत के शिकंजे में जिंदगी

  • Edited 3 years ago
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  • 126
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मौत की पकड़ में अब,जिंदगी है आ गयी
खबर है जिंदगी का,अब क्या अंजाम होगा

मौत तरस नही खाती कभी,वो तो है बेरहम
उसके हाथों से जिंदगी का काम तमाम होगा

मौत की पकड़ जिंदगी पर, मजबूत है बहुत
मौत के हाथों से जिंदगी
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मौत के शिकंजे में जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाहः बहुत सुंदर

कवितागजल

इसलिए दुःखी हूँ

  • Edited 3 years ago
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  • 160
  • 4 Mins Read

तुझे कभी देख ना पाया,बस इसलिए दुखी हूँ
ख्वाब ना सिरहाने आया,बस इसलिए दुखी हूँ

ठहरी थी नींद पलको पर,एक गुजरे जमाने से
जाने से उसे रोक ना पाया,बस इसलिए दुखी हूँ

वक्त सबकुछ सिखाता है,मगर सिर्फ वक्त
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इसलिए दुःखी हूँ,<span>गजल</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

कविताअन्य

क्या फर्क पढ़ता है

  • Edited 3 years ago
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  • 102
  • 3 Mins Read

किसी गैर की पनाहों में,देखता खुद की मुहब्बत को
खुद को हरदम समझता हूँ, खैर क्या फर्क पड़ता है

अजनबी हाथों में जब भी,देखता खुद की अमानत को
सोचकर मन को बहलाता हूँ, खैर क्या फर्क पड़ता है

बड़ी शिद्दत से जिसको
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क्या फर्क पढ़ता है,<span>अन्य</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

संदीप शिखर3 years ago

धन्यवाद आपका