कविताभजनलयबद्ध कवितागजलदोहाछंदचौपाईअन्यगीत
( गीता विशेष )
आदिशास्त्र गीता में योग की ,
शिक्षा दी नारायण ने ।
श्रोता प्रथम दिवाकर;
जिनको शिक्षा दी नारायण ने ।।
सूर्य ने दी महाराजा मनु को ,
सो मनुस्मृति कहलाई ।
मनु ने श्री इच्छ्वाकु को दीन्ही ,
यह गीता की गहराई ॥
सोइ पुरातन योग ग्रंथ,
कुरुक्षेत्र मे अर्जुन ने पाया ।
पुन: प्रसारण श्री गीता का ,
श्री केशव ने कह गाया ।।
दर्शन आत्मरूप का करना ,
सास्वत् ज्ञान बताया है ।
तत्व ज्ञान की परिभाषा को ,
भली भांँति समझाया है ।।
ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य, सूद्र,
का है निर्धारण गीता में ।
वर्ण व्यवस्था, धर्म, कर्म का ,
सकल निवारण गीता में ।।
मनु से बना मनुष्य, जगत में ,
सब उनकी संताने हैं ।
गीता के एक - एक अक्षर में ,
बहु अनमोल खजाने हैं।।
पढ़कर गीता करो आचरण ,
जीवन सफल बनाना है ।
कहते ' रज्जन सरल ' देंह को ,
छोड़ के एक दिन जाना है ।।
श्री सत्गुरू देवाय नमः ! ॐ नमो नारायणाय !
शब्द रचना : रज्जन सरल
सतना (म०प्र०)
७७२५८०७०११