कवितानज़्म
क़ायदा है एक हयात ए मुस्त'आर का
फल हमेशा मीठा होता है इंतज़ार का
दस्तूर भी है मुआसरे और परिवार का
हिस्सा कहींभी जाता नहीं हक़दार का
पकती नहीं है सरसों हथेली में ''बशर"
मुनाफ़ा सब्र से ही होता है व्यापार का
मुँह में राम और बगल में छुरी रखकर
फ़ायदा नहीं काबाकाशी के दीदार का
आँख चुराकर बच न सका कोई उससे
ध्यान सब पर रहता है बड़े सरकार का
© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر