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मौसम के मिज़ाज बदल रहे हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मौसम के मिज़ाज बदल रहे हैं

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जल जमीं दश्तो - हवा आज बदल रहे हैं
इस क़दर मौसम के मिज़ाज बदल रहे हैं

कि रुत-ए-बहार कहीं गायब ही हो गई है
मौसम - ए - गर्म के आग़ाज़ बदल रहे हैं

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"

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