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जीवन - गीत - Pallavi Rani (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

जीवन - गीत

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  • 5 Min Read

जीवन गीत ❤
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ये माना कि, अभी आँधियों का दौर है,
जिंदगी खामोश, परेशान हर नजर है
मौत नाचती हर घड़ी चारो ओर है।
सिसकती उम्मीदें टूटते सपने ,
घिरते अंधेरों में छूटते अपनों से अपने
विरान घर ,सुनी गलियाँ, सुने रास्ते
आहें , कराहें , मातमों का शोर है ।
फिर भी, दूर आसमान में चमकता
वो सूरज निकलता हर रोज है ।
सुनो, हवा जब संगीत छेड़ेगी
मुस्कराते फ़ूलों संग ये पंछी फिर गायेंगे।
तुम राहों में बिखरे कांटों से मत घबराओ
तुम लड़ो और आगे बढ़ते जाओ ।
तुम्हारे साथ हमारी दुआएँ भी तो हैं
आखिर, ये अंधेरे हमें कहाँ तक छलेंगे!
उदासी भरे दिन ढल कर रहेंगे
बोलो , तब तो तुम साथ दोगे ना हमारा!
खुशियों की नयी राहें हम साथ सजाएँगे
जो बिछड़ गये वो याद तो बहुत आयेंगे ।
उनके नाम एक दीपक हम हर रोज जलायेंगे
हम साथ फिर मुस्कुरायेंगे, हम साथ फिर मुस्कुरायेंगे।।
©️पल्लवी रानी❤
मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र

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