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ठंडा हरेक मंज़र हुआ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ठंडा हरेक मंज़र हुआ

  • 5
  • 2 Min Read

नीचे धरती ठण्डी ऊपर ठण्डा अम्बर हुआ
दाख़िल घरमें ठण्डक लेकर दिसम्बर हुआ

खेतों में किसान सीमा पर जवान ठिठुरते
पेड़ों पर पंछी ठिठुरे ठंडा सारा शजर हुआ

गली कूचे बस्ती ठंडी ठंडा सब शहर हुआ
ठंडी छत ठंडा आंगन ठण्डा सारा घर हुआ

ठंडी रातें ठंडी सुब्ह ठंडा हरेक मंज़र हुआ
दाख़िल घर में ठण्डक लेकर दिसम्बर हुआ

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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