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फिरसे बिछती बिसात हर मात के बाद - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

फिरसे बिछती बिसात हर मात के बाद

  • 72
  • 2 Min Read

बात नई शुरू होती है हर बात के बाद
सुब्ह ओ सहर होती है हर रात के बाद

यूं तो नई बात नहीं वस्ले -यार में मग़र
बात नई होती है हर मुलाक़ात के बाद

बात - बेबात बहाना बनाना मिलने का
फिरकोई बहाना हर मुलाक़ात के बाद

हर शब चांदसे होती है मुलाक़ात मग़र
सूरज की वो चकाचौंध हररात के बाद

हयात है कि चौसर शतरंज की ''बशर''
फिरसे बिछती बिसात हर मात के बाद

@ "बशर"

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