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कुदरत का शाहकार लिए फिरते है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

कुदरत का शाहकार लिए फिरते है

  • 86
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अरमान सीनेमें दफ़्न अपने हज़ार लिए फिरते हैं
हम अपनी चलती - फिरती मज़ार लिए फिरते हैं

वक़्तकी दीमक ने हमपे जो लिख डाले हैं तब्सिरे
हम बशर कुदरत का वोह शाहकार लिए फिरते है

#बशर

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