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कवितानज़्म
फ़िज़ओं का चमनमें आना जाना ढूंढना अजनबी का जैसे ठिकाना घटा बनकर फ़लक पर छा जाना बूंद बन कर सागर में समा जाना © 'बशर' بشر.