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मन के पट खोल दिया करो - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मन के पट खोल दिया करो

  • 55
  • 1 Min Read

तिरा येह रोजो-शब झूठ सुन सुन कर उकता गए हम
कभी जायका बदलने केलिए ही सच बोल दिया करो!

माना कि राजे -दिल हर किसीको बताना अच्छा नहीं
गुबार निकलने केलिए ही मनके पट खोल दिया करो!

@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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