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वक़्तही कहां लगता है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

वक़्तही कहां लगता है

  • 41
  • 1 Min Read

जमाने इक उम्र में गुज़र जाते हैं "बशर" इस जमाने में
वक़्तही कहां लगता है हयाते-मुस्त'आर गुज़र जाने में

@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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