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हर रहगुज़र-ए-सफ़र से गुज़र के देख लिया - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हर रहगुज़र-ए-सफ़र से गुज़र के देख लिया

  • 40
  • 1 Min Read

जीना नहीं आसाँ यहाँ सब-कुछ करके देख लिया,
ऐ ज़ालिम जिंदगी तेरे लिए हमने मरके देख लिया!

सुकूँ से भरी राह-ए-सफ़र शायद मयस्सर ही नहीं,
हर रहगुज़र-ए-सफ़र से हमने गुज़र के देख लिया!

@"बशर"

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