कहानीसामाजिकअन्यलघुकथा
एक तरफ भड़के दंगो की वजह से देश चींख पुकार कर रहा था। और एक तरफ रामबती और टीकाराम अपने बच्चे को ओट छुपाए घूम रहे थे। बाहर मारो मारो काटो की आवाज में गोलियां और बंदूक चल रही थी।
तभी कुछ और आहटों से दोनों सिकुड़कर बैठ जाते हैं। कुछ सिपाही आपस में बात कर रहे थे।
"वो दोनो को पकड़कर मार देना है ध्यान से देखो यही छुपे हुए होंगे"
तभी हुकुमचंद सैनिक की एक और से आवाज आती है
"ये रहे साहब दोनो,
अरे देखता और बताता क्या है गोली मार दोनो को,
"हुकुमचंद दोनों की गोदी में बच्चे को देखता है और आसमान की और फायर कर देता है।"
धीरे से दोनो को कहता है।
"कच्चे रास्ते से ट्रेन में जाकर छुप जाओ और भाग जाओ, वरना तुम्हारे साथ यह नन्ही सी जान भी मारी जाएगी।"
दोनो हाथ जोड़कर आंखों में आंसू लिए अपने उस टूटते देश का अधूरापन लिए नए देश की ओर चल पड़ते हैं। - नेहा शर्मा