Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ग़ज़ल - Alok Mishra (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ग़ज़ल

  • 137
  • 5 Min Read

GHAZAL
जुदा तो होतें हैं अपने, मगर जिंदगी यूँ ही चला करती है l
हर रोज कि तरह दिन तो निकलता है, पहले कि तरह शाम ढला करती है l
फरक जहाँ को नहीं पड़ता है, किसी के आने जाने से l
सुकून दिल को मिल जाता है, दो बूंद अश्क के बह जाने से l
इक तेरी याद है जो बन के हमसफ़र, हर पल मेरे साथ चला करती है l
जुदा तो होते हैं अपने, मगर, जिंदगी यूँ ही चला करती है l
हर रोज कि तरह दिन तो निकलता है, पहले कि तरह शाम ढला करती है l
जब तक का लिखा है आबोदाना, तबतक के यहाँ मुसाफिर है l
यहीं से सफर शुरू किया था हमने, यहीं पे सफर का आखिर है l
मजा इस बात में है कि किसी को करें याद हम, और किसी को याद आयें l
किसी के वास्ते दुआ हमारी हो, और मेरे वास्ते भी कोई करे दुआयें l
हॉक समझो कि जब आते हैं जहाँ में, यहाँ साँस भी गिन के मिला करती है ल
जुदा तो होते हैं अपने, मगर जिंदगी यूँ ही चला करती है l
हर रोज की तरह दिन तो निकलता है, पहले की तरह शाम ढला करती है l l

17267107969086175979838839369893_1726710947.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg