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अहबाब भी कम नहीं बदले - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अहबाब भी कम नहीं बदले

  • 8
  • 1 Min Read

ज़िंदगी रोज नए रंग बदलती रही
मग़र 'बशर' हम नहीं बदले,

वक़्त के साथ अदावतें बदल गईं
अहबाब भी कम नहीं बदले!

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر
© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بش

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