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तेरा ग़म - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

तेरा ग़म

  • 18
  • 3 Min Read

आप वो ख्वाब जिंदगी में दिखाते न कभी
हम भी फिर आप पे हक़ यूँ जताते न कभी

हमने तो आपको इक नूर -ए- फरिश्ता समझा
वर्ना हमराज़ तुम्हे हम भी बनाते न कभी

किसी की जाने से यूँ दर्द, ग़म का मिलता है
हम ये दिल आपसे जिंदगी में लगाते न कभी

हमने ये सोचा हमसफ़र तुम बनोगे मेरे
वर्ना दिल आपकी राहों में बिछाते न कभी

तुमने ग़र चाहा जो होता एक पल भी सनम
तुम मुझे छोड़ के यूँ ग़म में जाते न कभी

मैं तेरे याद में इक पल कभी ठहरा नहीं
नहीं तो आप मुझे ऐसे रुलाते न कभी

नाम लिख़ा जो मेरा होता दिल के कोने में
नाम मेरा यूँ तुम मिटाते न कभी

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