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कवितानज़्म
फिर एकदिन वो सदा केलिए ख़ामोश हो गए जिन की तक़रीरों के चर्चे आम हुआ करते थे, आज कोई नाम लेने वाला ढूंढे नहीं मिलता है साया अखबारों में जिनके नाम हुआ करते थे! @"बशर"