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बलम (पंजाबी) - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

बलम (पंजाबी)

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तुस्सी जाणदे भी नही पहचाणदे भी नही।
मेरे कोल आके तुस्सी माणदे भी नही।

हूण दस दिए इरादा है ये क्या
वखरा नु वादा है ये क्या।
गुस्ताखियों नु तू छड़ जाण दे भी नही।
मेरे कोल आके तुस्सी माणदे भी नही।

लड़की
वे तू चीज़ नखरीलो तेरे एब नैयो ठाणे
मैनु कोल कोल आके मत छेड़ मरजाणे
मैं तुस्सी जाणदी वि नही पहचाणदी वी नही।
मत कोल आ तू मेरे तुस्सी माणदी वि नही।

लड़का
माफ कर दे तो मत मोड़ मुँह
तुस्सी कह दो जो कर दूँ मैं वो
छड़ गुस्सा तू जाण दे भी नही।
मत कर तू पहचाण दी वी नही।

लड़की
मैनु पता सी तू करया जुल्म
चल छोड़ गुस्सा मानया बलम
अब जाण वि गयी पहचाण वी गयी।
तेरे कोल कोल आके तुस्सी माण वि गयी।
मैनु चढ़या है इश्क सनम
बस तू ही मेरा बनया बलम
बस तू ही मेरा बनया बलम - नेहा शर्मा

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