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घरतो अपना घर है फिरभी मग़र बुलाता है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

घरतो अपना घर है फिरभी मग़र बुलाता है

  • 90
  • 1 Min Read

वो सहन वो शजर वो दीवारो-दर बुलाता है,
गांव में मुझ को मिरा अपना घर बुलाता है!
भुलाया मैने अपनों को ऐसे कोई भुलाता है,
घरतो अपना घर है फिरभी मग़र बुलाता है!
@ "बशर"

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