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एक व्रक्ष तुम लगाओं - Neeraj Mishra (Sahitya Arpan)

कविताबाल कविता

एक व्रक्ष तुम लगाओं

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  • 3 Min Read

एक व्रक्ष तुम लगाओं
और एक मैं लगता हूँ
बरगद तुम लगाओ तो
पीपल मैं लगता हूँ
एक एक कर जब व्रक्ष लगेंगे
जंगल एक बन जाएगा
पर्यावरण प्रदूषित जो है
वह अंगे शुद्ध हो जाएगा
प्रण करलो व्रक्ष लगाने का तुम
मैं भी प्रण दोहराता हूँ
पहल करो तुम जल,भूमि,
और वायु दूषित न होने पाए
साथ समाज को ले कर चलना
मैं भी पीछे पीछे आता हूँ |
एक व्रक्ष तुम लगाओं
और एक मैं लगता हूँ


स्वरचित ,
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही मध्य प्रदेश

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