कविताअतुकांत कविता
चोका
दशम माह
ये पौष मास
आई पूर्णिमा
चलो प्रयागराज
पापनाशन
करें तपस्या, जप
ओ कल्पवास
संगम तट धूनी
ओ फलाहार
पूजें विष्णु को
आरोग्य दाता
दिव्य लोक के स्वामी
ऋतु हेमंत
कांपती है हड्डियां
सूर्य देव के
दर्शन हैं दुर्लभ
पूस की रात
कोहरे में लिपटी
ठिठुर कर बीते।
गीता परिहार
अयोध्या (फैजाबाद)