कवितागीत
छूटा साथ
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तुमको दिल ये ढूढ़ रहा है,
क्यूँ छोड़ा तूने साथ l
तेरे जाने से सोना,
मैं रह गया खाली हाथ l
सच कहता मैं पड़ा अकेला,
सूझे न कोई राह l
तड़प रहा तिल तिल यहाँ मैं,
दिल से निकलती आह l
धरे रह गये सपने सारे,
धरी रहीं उम्मीद l
हाथ छोड तुम कहाँ गुम हुई,
रह गयी अधूरी प्रीत l
सोचो अब किसको मैं,
अपनी जान बुलाऊंगा l
खुशियां हो चाहे हो गम,
किसको गले लगाऊंगा l
वक्त नें मेरे साथ किया,
बहुत ही गहरा घात l
मैं पड़ा हूं सदमें मेँ,
लगा बड़ा आघात l
तुमको दिल ये ढूढ़ रहा है,
क्यूँ छोड़ा तुमने साथ l
तेरे जाने से सोना मैं,
हो गया खाली हाथ l l
( आलोक मिश्र )