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कवितानज़्म
माना कि ग़म-ए-दिल का लिखा हुआ शानदार होना चाहिए तो दर्द -ए -दिल को पढने वाला भी समझदार होना चाहिए! येह सच है कि दर्द देने वाले पर किसी का बस नहीं चलता, दर्द सहनेवाले की जिंदगी में भी तो ग़मख़्वार होना चाहिए! @"बशर"