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मज़हब की क़ुरबानी जायज़ हो सकती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मज़हब की क़ुरबानी जायज़ हो सकती है

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किसी मज़हब को बचाने के लिए इन्सान की क़ुरबानी कैसे जायज़ हो सकती है
हां मग़र इन्सान को बचाने केलिए मज़हब की क़ुरबानी वैसे जायज़ हो सकती है
@"बशर"

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