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कविताअन्य
लिबास की तरह बदलना ही था , तो इश्क़....... क्यूँ किया हमसे । देकर.... चंद दिनों की मुहब्बत , चैन रातों का... ले लिया हमसे ।। ©डॉ वासिफ़ काज़ी , इंदौर ©काज़ी की कलम