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हमारे देश के पास दुनियाँ की चौथी सबसे विशाल सेना हैं,जिन्हें तीन मुख्य भागों में बाटा गया है। जिनमें भारतीय नौसेना, भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना हैं।
शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जो भारतीय सेना और भारतीय सैनिकों की विशेषताओं से अनभिज्ञ हो! भारतीय सैनिक भारत का वह नागरिक है,जो देश को ही अपना घर -परिवार समझता है और उसकी रक्षा सीमा पर हर परिस्थिति में डटकर करता है।सैनिक के लहू में देश प्रेम, देशभक्ति और त्याग होता है।
सैनिक एक ऐसा वीर योद्धा होता है,जो प्रतिकूल परिस्थितियों में दुश्मनों से देश की रक्षा,भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी तथा कई प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए अपने प्राणों की परवाह न करते हुए करता है।भारतीय सैनिक तन- मन से देश की सीमा पर चौकसी के साथ-साथ देश की सीमाओं के अंदर देश की संपत्ति और देश के नागरिकों की सुरक्षा करता है।सैनिक वही है जिसमें देश पर मर मिटने की भावना कूट-कूट कर भरी हो।
भारतीय सैनिक देश के संस्थान और सरकारी स्थानों की भी रक्षा करते हैं, इसीलिए सैनिकों के अभाव में हम सुरक्षा की कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारी सेना और हमारे सैनिक इतने जांबाज और बहादुर होते हैं, कि अकेले ही दस-दस सैनिकों का मुकाबला कर सकते हैं और किसी भी परिस्थिति का बहादुरी से सामना करते हैं। इसलिए भारत देश के सैनिकों को अन्य देश के सैनिक भी सम्मान करते है।
सैनिकों को कई प्रकार की परीक्षाओं और कठिन अभ्यास से गुजरना पड़ता है,क्योंकि सैनिक का मूल मंत्र अनुशासित जीवन होता है।जो भी व्यक्ति अनुशासित जीवन का पालन करता है और सैनिक बनने की पात्रता रखता है वही सैनिक बन पाता है।एक सैनिक को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। उनके पास हथियार कम हो सकते हैं , हौसले नहीं।
भारतीय सेना सतर्क और बेहद संजीदा है। भारतीय सेना का अपने सैनिक में कितना विश्वास है इसकी मिसाल है यह वास्तविक होकर भी अविश्वसनीय कहानी है ।
यह कहानी है एक भारतीय सैनिक की जो मरणोपरांत भी अपना काम पूरी मुस्तैदी और निष्ठा से कर रहा है और उसकी पदोन्नति भी होती है । ये हैं बाबा हरभजन सिंह है।३० अगस्त १९४६ को जन्मे बाबा हरभजन सिंह, ९ फ़रवरी १९६६ को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भरती हुए थे ।
१९६८ में वह २३वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्कीम में सेवारत थे । ४ अक्टूबर १९६८ को खच्चरों का क़ाफ़िला ले जाते वक़्त नाथूला पास के पास उनका पाँव फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई।तेज पानी का तेज़ बहाव उनके शरीर को बचा कर २ किलोमीटर दूर ले गया । कहा जाता है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर अपने शरीर के बारे में जानकारी दी । खोजबीन करने पर तीन दिन बाद भारतीय सेना को बाबा हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर उसी जगह से मिल गया ।
कहा जाता है कि सपने में ही उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की थी कि उनकी समाधि बनाई जाए। उनकी इच्छा का मान रखते हुए उनकी एक समाधि भी बनवाई गई।
कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी बाबा हरभजन सिंह नाथुला पास के आसपास चीन सेना की गतिविधियों की सब जानकारी अपने मित्रों को सपनों में देते रहे जो हमेशा सच साबित होती थीं। इसी तथ्य के आधार पर उनको मरणोपरांत भी भारतीय सेना की सेवा में रखा गया।उनकी मौत को बावन साल हो चुके हैं लेकिन बाबा हरभजन सिंह की आत्मा भारतीय सेना में अपना कर्तव्य निभा रही है।
बाबा की आत्मा से जुड़ी बातें भारत ही नहीं चीन की सेना भी बताती है । चीनी सैनिकों ने भी उनको घोड़े पर सवार होकर रात में गश्त लगाने की पुष्टि की है । दोंनो देश आज भी बाबा के होने पर यक़ीन करते हैं और इसीलिए दोंनो देशों की हर फ़्लैग मीटिंग पर एक कुर्सी बाबा हरभजन के नाम की भी रखी जाती है ।
सारे भारतीय सैनिकों की तरह बाबा को भी हर महीने वेतन दिया जाता है और नियमों के अनुसार बाबा की पदोन्नति भी होती है । अब बाबा कैप्टन के पद पर हैं।15 सितंबर से 15 नवंबर तक बाबा को दो महीने की छुट्टी दी जाती है।
ऐसे हैं भारतीय सैनिक!
भारत के अर्धसैनिक जिनकी संख्या करीब 10 लाख है,वे गृह मंत्रालय और भारतीय सेना के अधिकारियों के नेतृत्व में रिपोर्टिंग करने वाले सैनिक हैं।जो प्राकृतिक आपदाओं के समय,दंगे- उन्माद को काबू में लाने के समय, भूकंप,बाढ़ की विभीषिका में,कश्मीर में पत्थरबाजों के पत्थर झेलना,उनके घरों से उबलते पानी से झुलसना हो और अभी हाल में दिल्ली में उन्मादी भीड़ के द्वारा नीचे फेंके जाना। इस सब को सहते हुए हथियार नहीं उठाते।
गीता परिहार
अयोध्या