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शीरीं किसीकी हुई नहीं फ़रहाद के बग़ैर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

शीरीं किसीकी हुई नहीं फ़रहाद के बग़ैर

  • 14
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हासिल हुनर होता नहीं दिली मुराद के बग़ैर,
तालीम मुकम्मल होती नहीं उस्ताद के बग़ैर !
पहाड़ तोड़कर कहलाए कोहकन बहुत मग़र,
शीरीं किसी और की हुई नहीं फ़रहाद के बग़ैर!
© 'बशर' bashar بشر
*Happy teachers day*

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