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कवितानज़्म
हासिल हुनर होता नहीं दिली मुराद के बग़ैर, तालीम मुकम्मल होती नहीं उस्ताद के बग़ैर ! पहाड़ तोड़कर कहलाए कोहकन बहुत मग़र, शीरीं किसी और की हुई नहीं फ़रहाद के बग़ैर! © 'बशर' bashar بشر *Happy teachers day*