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असली शिक्षक कौन - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

असली शिक्षक कौन

  • 177
  • 5 Min Read

जिसने राह दिखलाई वो हर एक गुरु है पास।
मैं दूँ किसको बधाई बतलाओ गुरु को हमसे आस
पीने के पानी ने हमको जीवन देकर सिखलाया।
कैसे किसी को अपनाए हमको यह बतलाया।
हवा ने हमको सांसे देकर कर्ज से आजाद किया।
बिना स्वार्थ के कैसे बहना आजादी में नाम दिया।
गेंद जैसे उछलना भी तो फ्लेक्सिबिलिटी कहलाया।
सीखा रिश्तों में वैसे हो जाना इसने भी कुछ सिखलाया।
रही सही बात पत्थर की करती वो भी सख्त ही कहलाये।
कभी कभी व्यवहार में अपने पत्थर दिल भी तो आये।
फूलों की यदि बात करूं मैं कली से फूल बन जाते हैं।
वैसे बचपन छोड़ हम अपना जवानी में बह जाते हैं।
खुशबू लेकर फूलों की जीवन को महकाते हैं।
कुछ यूं एक दूजे से हम सीखते सिखलाते है।
प्रकृति से मिले उपहार वह भी शिक्षक कहलाये।
किसको दूँ बधाई बतलाओ हम भी शिक्षक कहलाये।
पढ़ी किताबें जितनी हमने वो भी शिक्षक कहलाई।
एक दिन में न समझेंगे किसको दूँ मैं बतलाओ बधाई।
सीखना सबसे कुछ न कुछ अंतिम सांस तक चलता है।
हर किसी के अंदर खुद ही एक शिक्षक अब पलता है। - नेहा शर्मा

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

बहुत सुन्दर

नेहा शर्मा3 years ago

शुक्रिया आदरणीया

प्रपोजल
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