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कवितानज़्म
सबक इल्म-ओ-हुनर का पढाये तालीम, सलीक़ा-ए-अदब हमें सिखाये तालीम! हासिल-ए-तहज़ीब-ओ-तमद्दुन तालीम से, इन्सान को इन्सान से मिलाये तालीम! © डॉ.एन.आर. कस्वाँ 'बशर' بشر