Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"नही"
कविता
"नारी नहीं जहान हूँ हिन्द की मैं शान हूँ"
भुलक्कड़ नहीं है वो
माँ की पीड़ा
कमियां और खूबियां
माँ
सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 1)
बारिश वाला प्यार
"इश्क वाला लव"
तभी तो पिता
बलम (पंजाबी)
हैरत नहीं कि अब जान बेहतर है
स्त्री कमज़ोर नहीं होती है
सुकून
मैं तुमसे प्यार नही करता
कभी गौर से देखा नहीं
कभी नहीं आते
बदलता आपकी तरह रहा मेरा किरदार नहीं
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
समंदर तो नहीं
हिंदी महज भाषा नहीं है
चाय सिर्फ चाय नहीं.....
ये मजदूर नही है, सुनहरे भारत का अभिमान है
हम पास तो हैं पर साथ नहीं
वक्त नहीं
अब बात नही होती
मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं
कौन कहता खामोशी में बात नही होती
आँसुओं को पनाह नहीं मिलती
तू नहीं प्यार के काबिल
श्रम साधक को विश्राम नही
अब कोई नही है
जब राम नही बन सकते
असां नहीं एक स्त्री को समझ पाना
बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता
उनसे जो हमारी ये मुलाकात हो गई
मैं नारी, नहीं हारी
खत जो भेजा नहीं
कुछ भी हमारा नही होता
२०२० तुमसे कोई शिकायत नहीं
कविता
सूरज नहीं बुझने दूंगा
मैं बेवफा तो नहीं
मैं अक्सर खुदबखुद.....
मैं डोर नहीं
किसान
मंजिल का अवसान नहीं
मैं चांद नहीं आफताब हूं
यह घर मेरा नहीं
पेड़ बनकर नहीं तलवार बनकर
मैं खूंटे से नहीं बंधूगीं
मैं खूँटे से नहीं बंधूगीं
मैं खूँटे से नहीं बंधूगीं
दरिया नहीं सूखेगा
मुझसे प्यार है और नहीं भी
नारी नहीं बेचारी
नारी कोमल है, कमज़ोर नहीं
माँ
बेवफा हम नहीं
स्त्री हूँ मैं अबला नहीं ...
कोई मजहब नहीं होता
बीते दिन वापस नहींं आते
घर
कभी नही मरुँगी। मैं
कभी नही मरूँगी मैं
तन्हा मैं नही
जो कुछ नहीं करते बहुत कुछ करते हैं
मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी
जिंदगी से कोई शिक़वा नहीं...
खो गये दिन मुहब्बत के
अब शौक नहीं है।
मैं सामान नहीं
दोहा
✍️गम भी जिंदगी को कितना कुछ सिखा देता है।।
नारी के जीवन में इतवार नहीं आता
जरुरी तो नहीं
मैंने तो नहीं कहा था
तुम हो ही नही
नहीं दे सके साथ
ज़हरीला इन्सान
आसान नहीं हैं, किसी के साथ जीना
कवि तुम नहीं
अफसोस शहीदों का
क्यों सत अंतस दृश्य नहीं?
पता ही नहीं
बाजार
यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता
अब भी समय है "इंदर" सुधर क्यूँ नहीं जाते
मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
ग़रीब के घर सपने नहीं होते
कुछ भी नहीं है बशर बात नई जिंदगी में
तू ख़ुद यहाँ पर बशर जबतक किसीके काम का नहीं
जाती उसकी मग़र यादें नहीं
ख़ुदा का अपना कोई मज़हब नहीं है
बशर मग़र कभी रोया नहीं
तिश्नालबी बुझती नहीं
बशर तुझको जीना अभी आया ही नहीं
ऐ जिंदगी ख़्वाब तिरे तमाम सदा मुकम्मल नहीं होते हैं
हिज्र-ओ-फ़ुर्क़त में हबीब के कभी बसर करने का इरादा भी नहीं है
ज़रूरी नहीं के हर मुफ़लिस बिकने वाला हो
यायावर फकीरों के मुकद्दर में कभी कहीं घर नहीं आता
जो कभी नहीं रोते बशर उन्हे क्या ग़म नहीं होते
ख़त्म रक़ाबत हो
दिल का बुरा नहीं बशर आदमी वक़्त का मारा है
राब्तों का रास्ता नहीं मिलता
ज़ख़्मों का ईलाज तेरे तबीब के पास नहीं
कुछ शब्द
दिलों के रस्ते नहीं मिलते
यौमे-आजादी से बड़ादिन हो नहीं सकता
सुकून-ए-ज़ीस्त मयस्सर ही नहीं कहीं आदमजात में
कामिल कोई शय नहीं है इधर बशर जमाने की
हारने को कुछ बचा ही नहीं
तालीम-ए-हयात कभी मुक़म्मल नहीं होती
मुझको मिरा अंदर नहीं दिखाई देता
मुझको मिरा अंदर नहीं दिखाई देता
मैं सब कुछ था तेरा, मेहंदी महावर हो नहीं पाया
आज वतन की शान में करते थकते नहीं गुणगान
मुकम्मल कभी सपने नहीं होते
क़ुसूर नहीं बेचारी जिंदगी का
रक्षाबंधन गीत
याद नहीं वो पल मुझे...
भूल सकता नहीं अपने मां -बाप को
कोई नहीं है क़रीब मिरे
आता नहीं है बशर कभी फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर
फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर आता नहीं
मेरी किसीसे कोई जफ़ा नहीं
आरजू दिल की बशर कह कर बयाँ की नहीं जती
*साथ बशर अपने ला नहीं सकता*
*आँखों से नमी नहीं जाती*
*दूल्हा नहीं दिखता*
बुलन्दियों को छू लेना बड़ी बात नहीं है
याद का नहीं है असर तो और क्या है
*पीठ पर वार नहीं करते*
*सफ़र नहीं है आसान मोहब्बत का*
करते नहीं हैं याद हमको हबीब हमारे
*वक़्त से बड़ा नहीं उस्ताद कोई*
वो अब हमसे नाराज़ नहीं है
फ़न छुपकर नहीं रहता
*ए'तिबार खुदपर ही रहा नहीं*
कोई अपने मां-बाप से बड़ा नहीं हो सकता
*पता ही नहीं नाम बशर का*
*याद आना क्या काफी नहीं*
*जग से नहीं हौड़ बशर*
नफ़रत गवारा नहीं
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
*वज़न इल्म का उठा सकते हैं नहीं*
बात नहीं होती
इससे उजले प्रतीक नहीं
*दुनिया अपनी मिल्कियत नहीं है*
*जिंदगी का पता नहीं*
स्वीकार नहीं
*ये सिक्के इन बाजारों में नहीं चलते*
आदमी को आदमी नहीं क्या मज़ाक कहें
*यहाँ पर नहीं हूँ मैं*
*जमीर नहीं मिलते*
कविता
*मक्कारी नहीं चलगी*
*तू जमाने बग़ैर मुतमईन नहीं है*
कैसे कहें के वो हमारा हमसफ़र हमदम नहीं
*बात नहीं होती*
*गिरने का जिनको खौफ़ नहीं होता*
*मुड़कर भी नहीं देख*
खुदा तुम भी नहीं
आदमी, आदमी रहा ही नहीं
*मुझमें मैं रहा ही नहीं*
मुझ में 'मैं' बचा ही नहीं
*नींद है तो ख़्वाब नहीं*
*सरपर कुछ नहीं आस्माँ के सिवा*
जाहिल बेवकूफ़ी से बाज नहीं आता
खामोशियां इस क़दर "बशर" नहीं अच्छी
*बयाँ नहीं होता*
आना यहाँ दुबारा नहीं
मसाइल कुछ अयाँ नहीं हैं
आदमी खुदा बनने से बाज नहीं आता
शीर्षक (भारतीय सेना)
जद अपनी "बशर" अपने दस्तरस में नहीं
उनको नहीं हमारी ख़बर
कोई ठेहरा नही 💗💗
पैरों पर खड़ा नहीं होता
कहीं कोई ऐब नहीं
वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर जिससे बांटें
शब्दशिल्पी कोईभी नहीं हो जता
वफ़ा किसीसे नहीं
कहीं कोई दवा नहीं शिफ़ा नहीं
हुई नहीं नसीब शब-ए-नींद
हौसलें बुलंद हैं
हौसलें बुलंद हैं
काटे नहीं कटती रात
अखबारों में छप जाने से नाम नहीं होता
तीसरा हमें गवारा नहीं बशर
खेलते नज़र आते नहीं बच्चे आजकल
ख़ामोशी से बड़ा जवाब नहीं
मंज़िलें दूर नहीं हो जाया करतीं
कोई मुनव्वर नहीं मिलता
इरादों को मदद नहीं चाहिए तक़दीर की
तिरे शहर में क्या क्या नहीं होता
तुमसे ज्यादा नहीं है खास कोई
काफ़िले किसीके वास्ते रूकते नहीं है
जीना नहीं आया
राज -ए -दिल अपने खोलना नहीं
राब्तों में दम नहीं है
फ़ासलों का फ़ैसला आसान नहीं होता
रंजो-मलाल नहीं
किनारों को मिलतेहुए नहीं देखा
कहनेको अश्आर नहीं है
छू कर देखूँ क्या आसमान!!
जेबों में नहीं दिलों में संजोये जाते हैं
जेबों में नहीं दिलों में संजोये जाते हैं
किसीने नहीं बसर करते हुए पूछा
किसीने नहीं बसर करते हुए पूछा
नहीं बसर करने के लिए किसीने पूछा
गिला अब कुछ भी नहीं
जो झुक गए तो कुछ नहीं
अंधेरों का कोई मुंतज़िर नहीं होता
आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं
मेहनतकश नसीबों के मोहताज नहीं होते
मरना जीने की आदत से कम नहीं
तिश्नालबी छुपानी नहीं आती
हमको तो इल्म ही नहीं
वक़्त नहीं हमको
तुम्हारा येह जमाना नहीं है
दिल से वतन निकला ही नहीं
जल्दबाजी कभी नहीं करते हुए देखा
हैरत नहीं होती है
बस तू ही तू है ❤️
डरने जैसा कुछ भी नहीं है
उनपर ऐतबार नहीं किया जा सकता
जो दिखाई दे वह सच हो, यह सच नहीं
उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं
'बशर'' ऐसा भी दर-ब-दर नहीं देखा
बात कुछ भी नहीं
जी भरकर हमने जिया ही नहीं
नारी तुम कमजोर नहीं
राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते
हमारे अगर बेटी नहीं होती
गवारा नहीं ज्वाब मिरे
जीने केलिए जगह नहीं
मेहनतकश 'ऐश-ओ-'इशरत केलिए रोता नहीं
नज़र नहीं आता
जरा भी नहीं मलाल करते हैं
इन्सान नहीं मिलता
आसान नहीं है
नादानी से काम नहीं चलता मुहब्बत में
ना सताया कर 🥹
आलिम सालिम फ़ाजिल का साथ है मंज़ूर
नब्ज बस में नहीं
पहूँच कोई नहीं रहा है
मुकद्दर में नहीं गुफ़्तगू
फ़ितरत बदलती नहीं इन्सान की
हम हैं कि मानते नहीं
रंग लगाकर नहीं गया
दुनिया से कोई उम्मीद ही नहीं
वो लड़की नहीं है वो एक तितली है
बस दुआओं में मिला कोई हक़ नहीं आया
मेरे दिल में रहने वाले तुम दरार भी नहीं देते
जिन्दा शख़्स को नहीं दफनाते
मंज़िल का पता नहीं
अल्फ़ाज से नहीं
मुकाम का पता नहीं
कोई भी चीज खास नहीं है
अब तो 'बशर' याद ही नहीं
जिंदगी क्या चीज़ है मौत से इंसान डरता नहीं
बिन मर्जी राब्ते निभाए नहीं जाते
अपने तेरे तुझको जगाने नहीं आए
मुझको मिला वो सिला किसीके पास नहीं मिला
सिकंदर को हराते कलंदर नहीं देखा
उजालों की अहमियत घट नहीं जाती
नहीं पता सच की कैसे सफाई देते हैं
हिज़ाब नहीं करते मुलाक़ात करते वक़्त
तन्हा भी नहीं रहने देतीं
सोता ही नहीं है आदमी आठों पहर
मेरा नाम नही 🥵
और कोई नहीं मेरा ही साया था
नींद रात-भर आती नहीं है बशर
घरकी बातें बाहर बताना ठीक नहीं
इन्सान छोड़ेगा नहीं
मुसीबत से बड़ी मकतबे-हयात नहीं होती
आंखों ने मेरी कोई सपना नहीं देखा
औलाद मा-बाप से बड़ी नहीं हो सकती
रक़ीब भो नहीं पर वो मिरा हबीब भी नहीं
परेशान कर गया 💔🥀
सुना नहीं तुमने
अगर मां नहीं
रहा नहीं वक़्त रौशनाई का
बूढा हो गया होता अगर मां का सर पर हाथ नहीं होता
जोशो-ख़रोश पाने में नहीं
लौट कर नहीं आऊंगा
खुशियाँ अपने पास नहीं आती
मैं कुछभी नहीं जानता
मुझे नहीं फ़िक्र कोई हाले-दिल बताने में
मिलती नहीं खुशी होती है
माँ से बड़ी नेमत नहीं
कोई किसी केलिए ज़रूरी नहीं हो सकता
ईनाम ओ सजा का पता नहीं
जनाजे में नहीं आने वाला
सुकूँ मयस्सर नहीं होता
समझते ही नहीं
मालिक-वालिक कोई नहीं
सुकून-ए-क़ल्ब किसीको यहाँ नहीं मिलता
रास्वता क़्त पर नहीं दिखाया
मिले भी नहीं और याद उन्हीं को किया
दिल से लोग क्यूँ नहीं निकल पाते
जायका चखने में कोई हर्ज नहीं है
तुम्हेभी कोई ग़म नही हमें भी कोई ग़म नहीं
ये जिंदगी, जिंदगी नहीं है
ख़ामोशी से बड़ी कोई बात नहीं
नहीं कोई ग़म फ़कीर बन जाने का
उदासियां उन्हें नज़र नहीं आतीं कभी
आदमी को अपना मेयार नहीं खोना चाहिए
यकसाँ खुद भगवान नहीं होता
मंज़िले-मक़्सूद कुछ नहीं है खाक के सिवा
क्या तुम नहीं जानते
न दिल लगाकार बात की
सबके क़िस्मत में होता नही हंसाने वाला
पढ़े नहीं जाते हैं लिखे हुए अल्फ़ाज
पहुंचता कहींभी नहीं है
रब पर भी भरोसा नहीं होगा
रातोंरात कोई मुल्क़ हिंदुस्तान नहीं हो जाता
जून की उसके नसीब में नहीं है
ज्यादा से भी सब्र नहीं
हम खुदही कहीं रहे नहीं साथ अपने
तकब्बुर से हासिल कुछ नहीं होता
ख़ामोशियों से मिले घाव भी जल्द नहीं भरते
दिल लगाने पर भी नहीं लगता बशर तिरे शहर में
दिल लगाने पर भी नहीं लगता बशर तिरे शहर में
तेरे बिना जी नहीं पाएंगे हम
इन्सान से जोरोजब्र नहीं
कब्र किसीकी कभी होती कहीं आबाद नहीं
पता ही नहीं जिंदा हैं कि मर गए हम
छोटे दिल वाले बड़ी बातों की फ़िक्र नहीं किया करते। -बशर
बदले हुओं से मिलने को तैयार नहीं हैं हम
मुमकिन नहीं मुलाक़ात है
पता ही नहीं कौन हबीब है कौन रक़ीब है
चाहत नहीं रहती कुछ कहने की
दोज़ख से कम नहीं हुआ करता है
खुद से निकलकर नहीं देखा
किसीसे मिलकर नहीं देखा
हम कुछ नहीं जानते
बातचीत क्यों नहीं करते
चाहत की सबर नहीं होती
कुछ पल 🥹
अधूरी ना छोड़ो 🥀
ना डरा था और ना ही डरूंगा
जीत नहीं सकता है किसी केलिए
इश्क़ 💔🥀
उभरे हम नहीं हैं
दोस्ताना कृष्ण सुदामा जैसा किसी को आया नहीं
नाखुदा डुबो नहीं सकता
तेरे फैसले पे मेरा कोई सवाल नहीं
तुमबिन हम नहीं
ख़बर नहीं के वो मौत की क़तार में है
नाकाम मोहब्बत 🥹
किसीकी जीत-हार ही नहीं
मुक़म्मल किसीके इश्क़ का ख्वाब नहीं
देकर नहीं कहता किसी से
खुदको आस्मान पर नहीं रखा हमने
हाथों की लकीरों में लिखा होता नहीं मुक़द्दर
लिखा हुआ बदल नहीं सकते
मनसे हारकर कभी नहीं जीता जा सकता
आस्माँ में आशियाँ नहीं होता
राजी हमसे कोई था ही नहीं
बिन मुहब्बत गुजारा नहीं है
वह कुछ नहीं जानती
शीरीं किसीकी हुई नहीं फ़रहाद के बग़ैर
कांटोभरा रहगुज़र नहीं देखा
उनको याद रखना वहम नहीं था
झूठ नहीं बोलूं तो गर्मी से झुलस जाऊं
कोई पहचानता नहीं था
हरगिज़ नहीं बशर बेखुदी की रहगुज़र होता
मन नहीं भरता 🥰
जिस्मों से इश्क़ 🥀
गुल खिलना ही नहीं
बातों से तक़दीर नहीं बदला करती
तुमसे आगे कुछ नहीं
तुमसे आगे कुछ नहीं
मिसाल 🥀🥀
सिवाय अच्छाइयों के बाक़ी कुछ बचा ही नहीं
ज़िन्दगी जीने का नाम है कोई सजा नहीं
लबों से बयां नहीं होती
तुम हों 💖
वही झूठ बोला जिसका झूठ कभी झूठ नही लगा हमको
मिले नहीं बुराई किसी सूरत जमाने से
दिल में नहीं ठहर पाएगा
दिल में नहीं ठहर पाएगा
फासला सहा नहीं जाता
इन दूरियों का येह फासला सहा नहीं जाता
जुनूँ नहीं खोना चाहिए
दम निकला हैं 🥀🥹
पता ही नहीं चला कब आगया बुढापा जवानी से
खुदा से भी नहीं डरता है
भरोसा करने की आदत नहीं छूटी
हैनहीं रिहाई की रज़ा तेरी
बग़ैर गलतियों के तो कोई तजुर्बा ही नहीं
जफ़ा को वफ़ा बताई नहीं जाती हमसे
वक़्त ही नहीं मिलता
हमको ही है नहीं ख़बर हमारी
क़तरा-भर भी नहीं जान पाए हम
अदाकारी हमसे दिखाई नहीं जाती
मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ
यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
आईने को ज़रूरत नहीहै आईना साबित करने की
ठहरे नहीं दिन सुनहरे रुकी नहीं सुहानी रात किसीकी @"बशर" بشر
रक़ीबों की दोस्ती में दम नहीं होता
अंग्रेजों को ही नहीं अंग्रेजियत को भो निकालना चाहते थे
साये में उसके कभी बैठा नहीं कोई बशर
तौर-तरीके तर्ज़ेअमल उस्लूब-ए-वफ़ा-ए-वतन हम नहीं समझे
मुझको मुझमें रहने ही नहीं दिया आख़िरी तक
तिश्नगी बुझती नहीं सामने समंदर है
मुहब्बत का हक़दार नहीं मिलता
अधूरा ख़्वाब किसीका पूरा नहीं होता
हर जख़्म का शिफ़ा नहीं होता
किनारे पर खड़े- खड़े दरिया पार नहीं होता
वाबस्ता होता नहीं किसीभी मज़हब से ख़ुदा
कोई पराया कोई अपना नहीं रहता
दिलचस्पी बाक़ी कोई मुझ को रही नहीं हयात में
लबों पर नहीं तबस्सुम की लकीर
क़िस्मत पर किसीका नाम नहीं लिखा होता
मुस्तक़िल नहीं किसीका मुस्तक़बिल
लाजवाब लगता हूं 🔥🔥
सुकरात ज़हर नहीं पीता तो मर जाता
किसी बशर पर यक़ीन नहीं रहा
सुकूनदायक ज़हन नहीं बनाते
रहबर की नहीं ज़रूरत उनको
उजाला हो भी नहीं सकता दीपक में अगर आग नहीं
बेवज़ह लोगों केलिए दुनियामें कोईजगह नहीं है
मुझे नहीं मुग़ालता
इन्सान कभी वालदैन से बड़ा हो नहीं सकता
हरजगह गुड़ी पड़वा हो ज़रूरी नहीं
आपके नाप के नहीं रहे हैं
कोई किसीका आसक्त नहीं होता
मुमकिन नहीं बिन चले मंज़िल पाना
हसरतें कहीं जाती नहीं हैं
मायूसियां उदासियां छाई इस क़दर नहीं होती
आपके अलावा आपके साथ कोई नहीं
मसर्रतों का गुल खिला नहीं
अक़्ल के अंधों को कुछ नहीं दिखाई देता है
अजूबा यहाँ पर नहीं 'बशर' कोई इकलौते हैं
अहबाब भी कम नहीं बदले
मुफ़लिस की सल्तनत में धनदौलत आसपास नहीं आती
इस जहाँसे आगे जहाँ औरभी है
ज़रूरी नहीं
ज्यादा देर तक टिका नहीं सुरूर किसीका बशर
कहीं पहूँच नहीं पाता है
होती नहीं खुद ही से खुदकी मुलाक़ात
डूबने के डरसे कश्ति में सवार नहीं होता
इजाज़त नहीं किसीको तौहीन की
रंजोग़म का नदीम बनकर जीना हमें मंज़ूर नहीं
खुद केलिए सच्चा रहने वाला दूसरों केलिए झूठा नहीं हो सकता
पता ही नहीं लगने देते इस्तेमाल करते हैं के चाहते हैं
हरबार हरजगह एकजैसे रहते नहीं हैं लोग
हरगिज़ किसीसे कम नहीं
वो देखने की कोशिश नहीं की जो उससे छुपाया गया है
बचपन कहीं कभी किसीका वापस नहीं लौटा
जो हमारे ख़्यालों में है हमारी तक़दीर में नहीं
ज़िंदगी गुज़रतीभी नहीं किसीके बिना
सजने संवरने की उनको नौबत ही नहीं आती है
सजने संवरने की उनको नौबत ही नहीं आती है
झूठ के पांव नहीं होते मग़र चलता खूब है
नहीं है मसला दाना-पानी दो जून का
मु'आफ़ी मांग लेना ही तहज़ीब की निशानी नहीं होती
उसके चाहे बग़ैर कहींपर पत्ता नहीं हिल सकता
हम किसीकी फ़ितरत को नहीं बदल पाएंगे
हम लौटकर नहीं आएंगे
हम नहीं दिखा रहे होते हैं अक़्सर वो हम होते हैं
अपनी कोई ख़्वाहिश नहीं
हरदिन करिश्मा नहीं होता
आसान नहीं दिलों का खेल यारों
ऐब ओ हुनर का पता नहीं चलता
लोग दिल वाले नहीं हैं
कहानी
मुझे सुसाइड नहीं करना था
स्वर्ग की सैर
बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 2)
बरसात की लास्ट लोकल (अंतिम भाग)
साथ साथ (भाग-१)
नालायक
'जिएंगे शान से.. मरेगें शान से'
रुकी हुई ज़िंदगी भाग-२
पेट यूं ही नहीं भरता
पेट यूं ही नहीं भरता अंतिम भाग
बस नंबर 703 (भाग 1)
कन्या पूजन (पहला भाग)
कन्या पूजन तीसरा भाग
कन्या पूजन( चौथा भाग)
कन्या पूजन( छटा और आखिरी भाग)
यह आजकल की छोरियां
फौजी
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया
सारे पुरुष एक से नहीं
छोरी भी छोरा ते कम नहीं
मुनिया का जवाब नहीं
प्यार से बढ़कर कुछ नहीं
नामुमकिन कुछ भी नहीं
नामुमकिन कुछ भी नहीं
नामुमकिन कुछ भी नहीं
नामुमकिन कुछ भी नहीं
नामुमकिन कुछ भी नहीं
बता, कौन सी कहानी सुनेगा
बदला नहीं जा सकता
बदला नहीं जा सकता
अब मायके नहीं जाऊँगी
माँ बनती नहीं , होती है
क्योंकि लड़के रोते नहीं
पैसे पेड़ पर नहीं उगते
संवेदनहीनता
वापसी का मौसम
मुझमें संस्कार है पर आप मैं नहीं???
अभी नहीं तो कभी नहीं
अभी नहीं तो कभी नहीं
मोहताज नहीं होती कला
" अभी देर नहीं हुई है " 💐💐
"मैं गलत तो नहीं "💐💐
हव्वा नहीं कोरोना
बता, कौन सी कहानी सुनेगा
तन, हाथ का मैल नहीं
लेख
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
हौसला हो यदि बुलंद तो मुश्किल नहीं करेगी तंग
वैसा भय अब क्योें नहीं
भूला नहीं जाता
समाधान की ओर चलें श्मशान की ओर नहीं
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं.....
किसान के बिना हम कुछ भी नहीं
यह राष्ट्रविरोध नहीं तो और क्या है ?
यै शायर नहीं शोषक हैं
सतर्कता की अति भी अच्छी नहीं
जल्दी का काम शैतान का
आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही।
हैं शिकायतें बहुत..
अन्दाज़
क्या ये कलम का अपमान नहीं?
भारत को ईश्वर नहीं ऐश्वर्य चाहिए
कली जो खिल नहीं पाई
मैं तो नहीं कर पाऊँगी
परफेक्ट के फ्रेम में फिट नहीं बैठती मैं
योगा होगा ….नहीं होगा ..?
कभी भी अपने लक्षय को छोड़ना बिलकुल भी नहीं चाहिए
“कोई भी अमर नहीं है लेकिन संघर्ष हमेशा चलता है”
प्रेम कोई खेल नहीं
Edit Comment
×
Modal body..