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घर - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कविताहाइकु

घर

  • 132
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घर
१.
अपने दूर
एकल परिवार
छोटे घर।
२.
बेरोजगारी
जरुरतें अधूरी
घर में फांकें।
३.
घर-चौबारे
सुनसान पड़े हैं
श्मसान नहीं।
४.
चारों तरफ
महामारी-कहर
घर में रहो।
५.
सबसे अच्छा
हरदम अपना
है प्यारा घर।
६.
घर बनता
प्यार- विश्वास संग
ईंटों से नहीं।
७.
भाई- बहन
माता -पिता बनाते
घर को घर।
८.
कामधेनु मां
बरगद से पिता
घर कहाए।
९.
सर की छत
बुजुर्गों से होती
घर खिलता।
१०.
चांद निकला
चुपके से चांदनी
घर में आई।

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