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"था"
कविता
अजनबी
यथार्थ रूप
वृद्ध की वेदना
यथार्थ रूप भाग-२
करवा चौथ पर पति की व्यथा
परंपरा और आस्था
मगर मै न था
लघुकथा:- पारस पत्थर
मदारी कौन (लघुकथा)
दहलीज। (लघुकथा )
यथार्थ रूप भाग-३
विधवा व्यथा
कव्वाली,,बच्चों में नैतिक मूल्य
कव्वाली-बच्चों के नैतिक मूल्यों पर
यूँ हाथ थामकर हर पल का
यथार्थ रूप भाग-४( एक पुकार उस मनस्वी को)
हाइकु तथा वर्ण पिरामिड
कुछ अच्छे में, कुछ अजीब भी था
रावण की व्यथा
इन सबका रंग लाल है
यथार्थ रूप भाग-५
ढोल की थाप पर
आखिर मेरा क्या कसूर था
हमसफर.....
यथार्थ रूप भाग-६
(राष्ट्रीय बालिका दिवस) गर मैं गर्भ में न मारी जाती...
तन ही कमजोर था
शायद ज़िन्दगी होना था...!
जीवन गाथा
वृद्ध
यूँ हाथ थामकर हर पल का
तुम जो मिले
जय श्रीराम
जरा दिल को थाम के
आज शिक्षकों की व्यथा
मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी
अधूरा सा प्यार था।।
यथार्थ रूप भाग 7
मैं आज की व्यवस्था हूँ
मैं तो तो अकेला ही चला था
श्याम थाम कलाई
मन था रीता
मैंने क्या बिगाड़ा था
एक दौर था जब मां जिंदा थी
विरुपाक्ष
मैंने तो नहीं कहा था
मैं व्यवस्था हूँ
मैं व्यवस्था हूँ
मैं तो तो अकेला ही चला था
ऐसा था, मौसम...
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-31
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:35
मंजूर न था
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:38
दुयोधन कब मिट पाया :भाग:40
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-41
ये अहसास
मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
स्थायित्व (Stability)
मकाँ के भीतर हरसू घुप्प काला अंधेरा था
सिर्फ अपना उत्थान
मैं सब कुछ था तेरा, मेहंदी महावर हो नहीं पाया
विध्वंस का शैतान
इन चरागों को तो बशर बुझ ही जाना था
राम कथा मानस सरल
राम कथा मानस सरल
"प्रेम गाथा"
आपका माथा जाएगा घूम
*इसका हमें न पता था*
बड़ा फक्र था
राम कथा मानस सरल
मरनाभी था गवारा गर एकबार होता
नाम होने का था गुमान मग़र
सबक जमाने से सीखा था
वक्त बुरा था ⏱️
वो भी कुछ मग़रूर था
वतन से ऐसी बेवफ़ाई न थी
आते कल का सपना देखा था
अर्थार्जन का सुखद संयोग
डर किस बात का,कौन सा,हकीकत मे आना था
वो तो था, फरिस्तों का दौर,वो जमाना छोड़ दो
जब रखवाला ही जुआरी था
"बशर" बड़ा मुख़्लिस था
मेरा ही साया था
और कोई नहीं मेरा ही साया था
मुसाफ़िर उतर रहा था
अंदेशा न था साजिशों के राज पर
जब तलक "बशर" बच्चा था
"बशर" फिरभी अकेला था
उसी का आस्तां ज़रूरी था क्या
ख़्वाब था कि आंख खुलते ही बिखर गया
प्रेम न था,-हिन्दी कविता
अपने अंदर तो कोई-कोई कलंदर था
ना डरा था और ना ही डरूंगा
हमारे हुनर का ना कहीं पर नामोनिशान था
दिले-मुज़्तर थाम लिया
राजी हमसे कोई था ही नहीं
मैं चैन की नींद सो रहा था
उनको याद रखना वहम नहीं था
दफ़्तर दफ़्तर आना-जाना माथा थाम लेना
कोई पहचानता नहीं था
आजादी गाथा लिख दे,- पहाड़ी हिन्दी शौर्य कविता
इल्मो-अदब से पुर-नूर शख़्स किस क़दर बदनीयत था
पहले किसी ज़माने में इन्सान था
कल था न आज है 'बशर' ये ज़माना आपका
जिसके हाथमें जो था उसने दिया उछाल
कहानी
आसान शिकार
मर्द
मुझे सुसाइड नहीं करना था
कुन फाया कुन
कातिल
जन्नतनशीं
भटियारे की प्रेमकथा
रचयिता का धर्म
शब्दगंध
चिट्टी चुड़ैल (भाग 1)
चिट्टी चुड़ैल (भाग-2 अंतिम भाग)
अनुराग
"बातों के परिन्दे"
कन्या पूजन( चौथा भाग)
सपने
विजय गाथा
उत्तराधिकारी
हैप्पी वाला बर्थडे
अब बस!!
"चरित्रहीनता"
प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-1)
प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-2)
प्रथम ग्रासे मूषक पात: (अंतिम भाग-3)
हिंदी दिवस-हिंदी का महत्व
हस्तांतरण
"वो भारतीय अंग्रेज"
गृहस्थ आश्रम (लघुकथा)
तुच्छ सोच (लघु कथा)
तुच्छ सोच (लघु कथा)
हमारा कर्तव्य
एक हाथ दोस्ती का
स्वयंसिद्धा
एकता
एक कप चाय
लघुकाथा
ये तो होना ही था
आज का दौर
असीमित खरोचें
किसान का जीवन
'व्यवस्था'
'व्यवस्था'
म्हारो प्यारो राजगढ़
दो धारी तलवारप
दो धारी तलवार
अविष्कार
एहसास
दरकते रिश्ते
धरोहर
"नारी के सोलह श्रींगार "
उम्मीदों का बोझ
संवेदनशून्य दुनिया
आ घर लौट चलें...
होली के रंग
सुनहरी मनु
जिम्मेदारी
विस्थापन
क्या बताऊँ
स्वार्थी रिश्ते
खिड़की
मां से ही मायका
अन्धविश्वास
अनाथ
आस्था श्रम में 💐💐
एक और नवप्रभात
"कोरोना के दर्द"
Beti Huyi Hai
राखी का नेग
सफ़र वेन का
सत्य बना यूँ शरणागत
"डबल इनकम " 🍁🍁
" आस्था " 🍁🍁
डर आजादी का
खाली स्थान ।
लेख
वृद्धावस्था में बड़ों का रखिये विशेष ख़्याल
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (1)
सृजन और विध्वंश
आस्था और विश्वास : मानव चेतना के बँधक
डायन
संताड़ी/संताल/सांथाल जनजाति
भारतीय किसान की व्यथा गाथा
था वहम मेरा...
आस्था कि प्रतीक हमारी नदियां
दहेज देना है तो देना है
बस एक मज़ाक था।
अंतर्मन की व्यथा
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