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"जिंदगी"
कविता
जिंदगी के पन्ने
किताब
कवि हो जाना
हँसो तो कुछ इस तरह
लमहा-लमहा, बूँद-बूँद
तुम होते तो बात ओर होती
प्यार
मेरी आज़ादी
अहम
जन्म और मृत्यु
मौत के शिकंजे में जिंदगी
कभी मेरे श्रृंगार से वाक़िफ होते
थमी-थमी सी जिंदगी
सोचो न!
नज़रिया
जिंदगी
यादों के साथ सफर
उलझन
जिंदगी
यह जिंदगी है
रिश्ते
हम भी कभी इंसान थे
जिन्दगी
जिंदगी तुम इतनी दूर क्यों हो
हम पास तो हैं पर साथ नहीं
तीन राही
वो पागल लड़का
एक अदद जिंदगी
वो चली आ रही थी
हँसो कुछ इस तरह
दौरे जिंदगी
जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी
जिंदगी
गुमनाम जिंदगी
तितली और ज़िन्दगी
बारिश का मौसम
जिंदगी ऐसे ही चलती है
हर्षित....
मैं अक्सर खुदबखुद.....
तीन राही
जिंदगी
मेरी जिंदगी में चली आना
मेरी जिंदगी में चली आना
गीत "जिंदगी की कहानी"
जिंदगी ! तुझे पढ़ न पाया
जिंदगी ! तुझे पढ़ न पाया
इसी का नाम ज़िन्दगी है
मेरी आह की आवाज
आप मेरी जिंदगी हो
जिंदगी मिली मुझे
जिंदगी ही तो है।
कतरा-कतरा, बूँद-बूँद
लो आज पूरी होगई हमारी अधूरी कहानी...
खुले आसमानों से जिंदगी को देखना, बहुत ही खूबसूरत सा दिखाई देता है।।
इसी का नाम है ज़िन्दगी
जिंदगी की आखिरी शाम
मोहब्बत सी हो गई है, तेरे एक इंतजार में...
हम भी कभी इंसान थे
जिंदगी
जिंदगी
कोई मजहब नहीं होता
हर दिन, हर सुबह
उम्मीद से सजे ज़िन्दगी
क्या यही जिंदगी है?
भूली-बिसरी कोई याद
जिंदगी से कोई शिक़वा नहीं...
वो बंद आखिरी मकान
हाँ, हँसो कुछ इस तरह
तीन राही
मेरे घर आना जिंदगी
✍️इंसान को भी जीना सिखा देता है।
✍️गम भी जिंदगी को कितना कुछ सिखा देता है।।
कौन जाने कब कहाँ ......
यह जिंदगी है
बस इसी का नाम तो है जिंदगी
जिंदगी ऐसी ही है
जिंदगी सी खास
घनी है रात
ख्वाइश-ए-जिंदगी
मुस्कुराइये कि आप आज......
जिंदगी कुछ इस तरह....
जिंदगी की डायरी
✍️You were the only one, my father
जीना ही जिंदगी है
आ, जिंदगी, पास आ
वक्त के इस काफिले में
वक्त के इस काफिले में
मेरे घर आना जिंदगी
जिदंगी, मुझको तुझसे प्यार है
वक्त के इस काफिले में
आस में हूं
प्रियतम
ज़िन्दगी
कविता -नजर
कामयाबी हमारी राहे-हयात का इक ख़ूबसूरत मरहला है
कुछ भी नहीं है बशर बात नई जिंदगी में
वक़्त मिलता ही कहाँ है बशर जिंदगी को संवरने के लिए
तन्हा होकर रह गई जिंदगी
सपनो के वास्ते
बशर मग़र कभी रोया नहीं
ऐ जिंदगी ख़्वाब तिरे तमाम सदा मुकम्मल नहीं होते हैं
जिंदगी का सबूत
जिंदगी मिली है जीने के लिए
किस्तों में अदा होती है
किसका बशर इंतज़ार करें
खुद्दारी
असल जिंदगी बशर हर तर्ज़ ओ तक़रीर से परे होती है
नसीब से मग़र कमही मिला है
क़ुसूर नहीं बेचारी जिंदगी का
झरोखे यादों के
ज़ीस्त से जिंदगी-भर से यूं खेलता रहा है बशर
कहां ढूंढू मैं अपनी खुशी
हयात क़ज़ा की मोहताज बनकर रह गई है
जिंदगी की खोज
*किताबी जिंदगी से बाहर चला जाए*
जिंदगी ही सिखाती है सबक जिंदगी के
जिंदगी बेहाल होती जा रही है
कविता
*जिंदगी तजुर्बात सिखाती है*
उम्मीद
*जिंदगी का पता नहीं*
जीने की हसरत है
*धनदौलत जिंदगीमें सच्चे अहबाब होते हैं*
मुश्क़िल हालात में
अगर जिंदगी किताब होती
*जिंदगी से मिलने को तरस गए*
मरने से फुरसत न होती
जिंदगी को देखकर पसीना आया
जिंदगी क्या है
जीना नहीं आया
खुशियों का इंतज़ार तेरा
तुम काबिल हो ❤️
जिंदगी की आँधी
चेहरों की सिलवटों में हमने पढी हैं
प्यार
उधार की है ये जिंदगी
जिंदगी लाजवाब है
जिंदगी आसान होती
जिंदा ख्वाहिशों से जिंदगी की कहानी है
दीदार-ए-यार किया
मानो जिंदगी मिल गई ,
जिंदगी मुसलसल रहगुज़र है
आदमी परेशान रहता है
जिंदगी क्या चीज़ है मौत से इंसान डरता नहीं
शुक्रिया मेरी जिंदगी में आने केलिए
जिंदगी ऐसे गुजारी जाती है
जिंदगी हमको जीकर चली गई
मुश्क़िल है घरको घर करना
जिंदगी बंद द्वार खोलने को तैयार है
ईनाम ओ सजा का पता नहीं
हंसना मुस्कुराना मयस्सर न हो
डूबने केलिए इक जिंदगी चाहिए
जिंदगी गुजारा करनी पड़े
ये जिंदगी, जिंदगी नहीं है
ज़िन्दगी बेज़ारी बेचैनी से लबरेज है
कर्मों का ही सिला मिला है मुझे
कलभी अपना है गर आज अपना है
जिंदगी मे क्या है
जिंदगी तिरे लिए हमने मरके देख लिया
मुमकिन नहीं मुलाक़ात है
आप खुद हैं
आराम की जिंदगी बसर करोगे
सबसे बड़ा सरमाया होता है
मुक़म्मल मुराद जिंदगी की
नादानी में जिंदगी तन्हा होती है
जिंदगी तिरा एहतराम किया
जिंदगी के सफ़र में बशर वापस जाना है
बेसबब जिंदगी बीती जाती है
जिंदगी में जिंदगी से न हुई मुलाक़ात
जिंदगीसे भागकर आगे निकलने की न होड़कर
जिंदगी तुझसे क्या गिला करें
अनकही दास्तान
कहानी
मर्द
कुन फाया कुन
कातिल
जन्नतनशीं
रचयिता का धर्म
'जिएंगे शान से.. मरेगें शान से'
प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-1)
प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-2)
प्रथम ग्रासे मूषक पात: (अंतिम भाग-3)
चाक पर जिंदगी
रोटी और चंद सिक्के
अविष्कार
दोराहे पर खडी़ जिँदगी
जिंदगी की मुस्कान 💐💐
" "नन्ही मिनी की रुमानी दुनिया " 💐💐
एक नए सवेरे की किताब ( एक ज़िद्द एक जीत )
लेख
जिंदगी थी जो पन्नों पे उतार दी
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