कवितालयबद्ध कविता
साँसों के साज में जिंदगी बसती है।
किसने कहा कि यहाँ चीज सस्ती है।
बोलियां तो आजकल हर चीज की लगती है।
लेने वालों की बस औकात दिखती है।
निकले जो बात दूर तलक जाती है।
पुतलों में बस इंसानियत खलती है।
नज़रों में गिरा जो उठ नही पाता
और दुनिया कहती है हमारी चलती है।
फर्क नही पड़ता नेहा अपनो को भी
पत्थरदिलों में आग जलती है।
चलो जाने दो कभी फुर्सत हुई तो पूछेंगे हाल उनका
बस यही फुर्सत है जो कभी नही मिलती है। - नेहा शर्मा (सर्वाधिकार सुरक्षित) ©®
मुजे उम्मीद है आप गजल के छंद को आत्मसात कर बहेतर गजल लेखन कर उम्दा रचना लिखोगी /