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जिंदगी - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

जिंदगी

  • 128
  • 3 Min Read

साँसों के साज में जिंदगी बसती है।
किसने कहा कि यहाँ चीज सस्ती है।
बोलियां तो आजकल हर चीज की लगती है।
लेने वालों की बस औकात दिखती है।

निकले जो बात दूर तलक जाती है।
पुतलों में बस इंसानियत खलती है।
नज़रों में गिरा जो उठ नही पाता
और दुनिया कहती है हमारी चलती है।

फर्क नही पड़ता नेहा अपनो को भी
पत्थरदिलों में आग जलती है।
चलो जाने दो कभी फुर्सत हुई तो पूछेंगे हाल उनका
बस यही फुर्सत है जो कभी नही मिलती है। - नेहा शर्मा (सर्वाधिकार सुरक्षित) ©®

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DIPAK VANKAR

DIPAK VANKAR 8 months ago

मुजे उम्मीद है आप गजल के छंद को आत्मसात कर बहेतर गजल लेखन कर उम्दा रचना लिखोगी /

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

उम्दा....

Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

बेमिसाल

नेहा शर्मा3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह बढ़िया

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

प्रपोजल
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