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"वो"
कविता
"तुम लौट आओ"
भुलक्कड़ नहीं है वो
अजनबी
"तेरी-मेरी दोस्ती
वो जो रह गई उन बातों का क्या?
वो रिमझिम बरसात
मेरी बेटी मेरी माँ हो गयी
हाँ माँ तुम ही तो हो
हाँ, वो प्यार करती है
वो चली गई
कहीं आदत वो कभी आफत हो
क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
वो सतरंगी पल
वो पागल लड़का
जाते जाते दे गई वो मेरी आंखों में पानी
वो चली आ रही थी
वो सब किया
वो बाते
वो अदीब इकबाल कहीं रह गया
वो तो जान है मेरी ...
वो बाते
वो कौन है
अल्हड़ ग्राम बाला
वो चांद आज आना
वो जगह बता मुझे
वो और मैं
वो खेत में खड़ी
मुझे वो नज़रें बदलनी हैं
ये वो शाम है
वो अनजान है।
वो अजनबी
#चित्र प्रतियोगिता (बचपन के वो दिन)
कहाँ गए वो बचपन के दिन
वो बचपन के दिन
खुश है वो देखो कितना..
आज मिलेगी वो मुझसे...
वो पल मैं कैसे बतलाऊं..
वो लड़की*
मेरी कविताएं
क्या वो मुझको रोक पायेगा
पति पत्नी और वो
"मुझे मेरा वो गाँव याद आता है"
कविता का दरबार
जीवन का वो सतरंगी सा इंद्रधनुष
फूल 🌸
अभिव्यक्ति भावों की
वो बंद आखिरी मकान
" वो लड़की " 💐💐
" क्या अब भी वो खुशबू " 💐💐
जिंदगी ऐसी ही है
कहाँ गये वो दिन कान्हा...
बहार की वो यादें
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-41
वो छुईमुई
चाँद
वो दिन याद करो
सुकून वोह बशर मिल गया इक फ़क़ीरी से
दर्द किसानों के वो क्या जाने
ख़ामोश रहकर बशर वो अश्आर हज़ार कह देते हैं
वो हमसे पूछे कितना है क़रीब मेरा
याद नहीं वो पल मुझे...
बीते हुए वोह जमाने ढूंढ़ कर कहाँ से लाऊँ
वो अब हमसे नाराज़ नहीं है
मन में क्यों भरा रहे घमंड
वोट की खातिर पखारें कदम
वो कुछ और पढते हैं
कैसे कहें के वो हमारा हमसफ़र हमदम नहीं
वोह फ़ना हो जाते हैं सचके हकपर खड़े रहने में
वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर जिससे बांटें
बैठे रह गए वो हाथ मलते रहे
वो भी कुछ मग़रूर था
और फिर वो भी सो जाते हैं
वो लड़की नहीं है वो एक तितली है
वो तो था, फरिस्तों का दौर,वो जमाना छोड़ दो
लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक
वो अब पूछते हैं हाल, कमाल ही तो है
मुझको मिला वो सिला किसीके पास नहीं मिला
लहरों को पार वो कर गया
रक़ीब भो नहीं पर वो मिरा हबीब भी नहीं
भीगी हुई वोह रातें सारी
वो मेरा है
वो चला गया
वोभी जाने जो हमसे कहा न जाए
बार -बार बुरा करे वो बेशर्म है
सारा शहर उसके जनाजे में निकला इक वो न निकला जनाज़ा जिसके तक़ाज़े में निकला @"बशर"सारा का सारा शहर उसके जनाजे में निकला
चांद ही की ईद हो जाती है
चांद ही की ईद हो जाती है
वो ऊंचाइयां बुलंदियां किस कामकी
ख़बर नहीं के वो मौत की क़तार में है
पांवोंतले ज़मीन होती है
ख़ूबसूरत अनमोल और खास होते हैं वो लोग
कितने लोग वो देखते हैं जो उन से छुपाया जा रहा है! @"बशर"
जिन्दगी देखे थे,
हमभी मर जाएंगे वो भी मर जाएंगे
वो घड़ी हमारे लिए किस मतलब की
जो सुनी न गई वो बातें उसने सुनी
हम इंसान भी न हुए वो खुदा हो गए
वोह तबीब ओ हबीब तेरे हर मर्ज की दवा जानता है
वो जान मिरी हयात मिरा जहान थी
तूफ़ान जिसने देखा वो नाख़ुदा लहरों से हारा
वो देखने की कोशिश नहीं की जो उससे छुपाया गया है
वो ना आने पर अड़ी हैं
वो समझते हैं कि दुनिया बपौती है उनकी
हम नहीं दिखा रहे होते हैं अक़्सर वो हम होते हैं
बनगया ग़मकी वो दवा मुझमें
कहानी
"माँ का आँचल"
वो बुढ़िया और मैं
"वो भारतीय अंग्रेज"
"वो प्यारा डर"
वो दिन
वो कौन थी?
"वो है तो सही ना "
" वो नीला स्वेटर "
" वो तिराहा "
वो तीन सिक्के
जो बोया वो पाया
वो झूला
कहां गये वो दिन
वो मोरपंख
वो मोर पंख
"बरसात की वो रात "💐💐
वो गुलाबी दुपट्टा
" वो कौन है "💐💐
और वो एक कम्पनी का “COO” बन गया.
मैं और वो लड़की ( भाग - 1 )
लेख
जानें कहाँ गए वो दिन
अतिथि देवो भव
आया है मुझे फिर याद वो जालिम
परिवार में भावों का अध्ययन
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