मैं सन्दीप चौबारा जिला फतेहाबाद(हरियाणा)
M A हिंदी
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फिलहाल असिस्टेंट प्रोफेसर व स्कूल व्याख्याता की तैयारी कर रहा हूँ।
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कविता | हरियाणवी रागिनी |
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कविताअतुकांत कविता
🍒मैं फिर आऊँगा🍒
सुनो..तुम याद रखना
मैं फिर आऊँगा
टूटा हुआ विश्वास लौटाने
टूटी हुई उम्मीद पाने को
अपने बीच पड़ चुकी
अविश्वास और नाउम्मीदी
की गाँठ को खोलने के लिए....
मैं फिर आऊँगा
एक न एक दिन
ये तुम्हें
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कविताअतुकांत कविता
मैं मरूँगा
मैं नहीं मरूँगा
किसी सड़क दुर्घटना में
नदी या तालाब में डूब कर !
मैं नहीं मरूँगा
किसी ज़हर के सेवन से
या नशे का आदि होने से !
मैं नहीं मरूँगा
पँखे से लटक कर
या किसी पेड़ पर झूल कर !
मैं नहीं
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बहुत खूब जीवन का अटल सत्य है मृत्यु जो इसके भय को जीत लेता है वह सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है।
जी बिलकुल
कविताअतुकांत कविता
क्या हो गई हालात
देख ले मालिक अन्नदाता की
क्या हो गई हालात
कितना तड़प रहा है किसान
पी एम बदला सी एम बदला
फिर भी ना बदले
किसान के हालात
कितना तड़प रहा है किसान
आया पी एम बड़ा ही अंधा
नहीं दिख रहा है
सड़कों
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कविताअतुकांत कविता
हम आगे बढ़ते जाएँगे
हे ! #ज़ालिम सरकार....
तुम हमें #रोकने में
अपनी पूरी जान झोंक देना
हम फिर भी आगे #बढ़ते जाएँगे
#मकसद अपना पूरा करेंगे.....!
तुम लगा लेना सड़कों पर
कितने ही #बैरिकेडस, #पत्थर
#ट्रक और चाहे #कंटीले
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कविताअतुकांत कविता
सुनो-
तुम्हें हर बार #सोचना
और-
सोचते रहना
#बदन में एक
#सिहरन सी उठती है
तुम्हें याद करके
एक तो #शीत
और-
दूसरा तुम्हें #महसूस करना
अक्सर #दर्द जगा जाता है....
#तन्हाइयां भी असमय
घेर लेती है आकर
उठते दर्द
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कविताअतुकांत कविता
ए सुनो-
पूनम का चाँद
हो गई हो तुम आजकल
महीने बाद ये तो आ जाता है
लेकिन तुम्हारा आना बाकि है
अंधेरी रातों में अब
तुम्हारी यादें झुलसाए जाती है
पूनम का चाँद
जितना है हमसे दूर
उतना तुम भी दूर हो गई
जिसका
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कविताअतुकांत कविता
सुनो -
मेरे पास
तुम नहीं हो
पर तुम्हारी कुछ चीजें
कुछ तुम्हारी यादें रखी हैं
तुम्हारे बिना
तुम्हारी याद में
वो लाल टी-शर्ट
पहन लेता हूँ
जो तुमने कभी
उपहार में दी थी
उसको पहनते वक़्त
तुम्हें सोचना....
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कविताअतुकांत कविता
उसने कहा
मैं तुम्हारे लिए
कुछ भी कर सकती हूं....
तुम जो कहोगे
वो कर दूंगी
एक बार तुम कह
कर तो देखो.......
जो मांगोगे
जो कहोगे
सब दे दूँगी
मुझे एक बार
बता कर तो देखो......
फिर उसने....
जो कहा
सब करके दिखाया......!
उसने
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कविताअतुकांत कविता
ढूँढोगे जब भी
मुझे
वहाँ मत ढूंढना
जहाँ....
छोड़ कर गए थे मुझे
वो गाँव छोड़ दिया है
#मकां बदल लिया है
और
सुनोगे......
#दिल भी बदल लिया
जो कभी
अपनों के #अहसासों से
सदा भरा रहता था........
अब वहाँ तुम्हें
सिर्फ़.....
#वीरानियाँ
#तन्हाइयां
#दुश्वारियां
और
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कविताअतुकांत कविता
मेरे गले में
तेरी बांहों का घेरा हो
और मैं तेरी पीठ पर अपने नाखूनों से
लिख दूँ तेरा नाम.....
लग कर मेरे सीने से
तू कर दे मुझे मेहरबान
या अनछुआ रख कर
कर दे मुझे तू फ़ना.......
ये मेरी इश्क हक़ीकी
देख..! कर ना दे
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कविताअतुकांत कविता
तब मैं लिखता हूँ
जब मन #उदास होता है
जब दिल #दुखी होता है
मैं कहना चाहता हूं सब
जब मैं अकेले में होता हूं
जब कोई #नजर नहीं आता है
जब अपनों की #याद आती है
सब भूले #बिसरे याद आते हैं
तो तब मैं उठाता हूं
#कागज
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कविताअतुकांत कविता
दिनांक- 24/09/2020
दिन- गुरुवार
विषय- चित्र आधारित
विधा-मुक्तक
शीर्षक- सब याद रखा जाएगा
सब याद रखा जाएगा
रात दिन जी तोड़ कर मेहनत करना
मिट्टी के साथ मिट्टी होना
भीषण गर्मी में भी न देखना
कड़कती ठण्ड में भी
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किसान के जीवन को खूबसूरती से उकेरा है आपने परन्तु कही कही शब्दो मे ताल मेल नही बैठा है।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति किन्तु कसाव की कमी नजर आ रही है,साथ ही विराम चिह्न का प्रयोग जरूर करें जिससे पाठकों को पढ़ने में सुविधा हो, कहां रुकना है, कविता का प्रवाह क्या है, थोड़ी सी कमी के साथ आपने एक सार्थक प्रयास किया है जो सफल होती नजर आ रही है। बेहतरीन सृजन और उम्दा अभिव्यक्ति।
आपकी कविता सत्य को बिल्कुल साफ शब्दों में कह रहे है। लेकिन कर्ज में डूबे... से लेकर झूल जाना तक फिर दो बार दोहराया गया है, जो कि अनुचित लगता है।
जी , एक बात ,,यदि अंत से दूसरी पंक्ति से "फिर"हटा देते तो भी चलता। क्योंकि तीसरी में आ चुका है। हाँ, ख़ुशी की बात यह कि वर्तनी आदि की त्रुटियां नहीं की आपने।धन्यवाद।
जय किसान। अपने कृषि प्रधान देश के अन्नदाता किसानों का मुद्दा उठा आपने सामयिक समस्या का सार्थक चित्रण किया है। कृषकों की वास्तविक दशा पर प्रकाश डाल जागरूकता लाने की कोशिश सराहनीय है। तपती धूप, बारिश व कड़कड़ाती ठंड की परवाह नहीं करते हुए हड्डीतोड़ मेहनत करना । फिर फ़सल का प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद हो जाना। पुनः पेट भरने आदि के लिए बैंक या साहूकारों से ऋण लेना। यही विडम्बना है किसानों की। सच ही कहा कि भारतीय किसान का कर्ज़ में ही जन्म जीवन व मरण होता है। ही
किसानों द्वारा सहन करने वाली अधिकांश महत्वपूर्ण समस्याओं को रचना में उठाने का बहुत अच्छा प्रयास किया गया है. किसान अक्सर जानकारी न होने के कारण वहां के स्थानीय महाजन के ऋण के दुष्चक्र में फंस कर निकल नहीं पाते. यह आजकी एक ज्वलंत समस्या है. . यह एक विडम्बना ही है कि किसान, जिनके योगदान के बिना हम जीवित भी नहीं रह सकते, उन्हीं के उपज के मूल्य में जरा सी भी बढ़ोतरी होने पर पूरे देश में हो हल्ला होने लगता है, अन्य उत्पादों के लिए देश भर में, खुला बाजार है लेकिन किसान की सीमा अब तक स्थानीय मंडीसमिति है जो अढतियों के नियन्त्रण में हैं. वैसे अभी इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. जिनके हित प्रभावित हो रहे हैं. वे विरोध भी कर रहे हैं. सामयिक विषय पर अच्छी रचना..! वैसे बैंक में क्रषि ऋण के विषय में, ब्याज दर कम रहती है. शर्तें आसान रहती हैं. किसानों की निजी जरूरतों के लिए, और महाजनी ऋण चुकाने के लिए भी अलग से योजनाएं हैं.
कविताअतुकांत कविता
सवाल करेंगे
सुनो......!
एक दिन
तुम्हारे बच्चे
तुम्हीं से सवाल करेंगे
कि आपने कभी किसी से
प्यार किया है.....?
क्या जिससे प्यार किया था
उसका नाम अपने
होंठों पर ला पाएंगे.....?
नहीं..ना...!
आप नजरें झुकाने के अलावा
कोई
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कविताअतुकांत कविता
मौला..! तू करम करना
अल्लाह..! तू करम करना
मौला..! तू रहम करना
बस.... इतनी दया तू करना
जो भटक गए हैं
उनको तू राह दिखाना
उनको तू सद्बुद्धि देना
उनको तू सन्मार्ग दिखाना
वे नापाक हरकतों को छोड़ दें
कदाचार को
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कविताअतुकांत कविता
किसी के प्यार में होते हैं तो
जब हम किसी के
प्यार में होते हैं तो......
बहुत से अपनों को खो देते हैं
सबसे कतराते रहते हैं
एक डर सा बना रहता है
चेहरे की हवाइयां उड़ी रहती है
मन में भी एक खटका रहता है।
जब
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कविताअतुकांत कविता
?सम्भल जा ज़रा?
ए-दोस्त......
सम्भल जा ज़रा
पछताएगा,रोएगा
अपने किए दुष्कृत्यों पर
फिर सोच सोच कर.......
अभी समय है
बच सकता है तो बच
बचा सकता है तो बचा
अपनों के अहसासों को
अपनों के अरमानों को........
तुमसे ही तो
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लेखआलेख
हिंदी भाषा की महत्ता
भाषा संस्कार है तो साहित्य संस्कृति है। भाषा हमारी परंपरा, सभ्यता और विरासत को बचाती है ।भाषा और साहित्य एक दूसरे के घनिष्ठ हैं ।किसी भी देश की भाषा वहां की प्रकृति के अनुरूप
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कविताअतुकांत कविता
हम उस देश के वासी हैं
जहाँ बेरोजगारों को रोजगार नहीं
जहां कामगारों को काम नहीं
जहां सिक्का चलता मंत्रियों का
हम उस देश के वासी हैं......
जहां बड़े-बड़े होते घोटाले हों
जहां निजीकरण का बोलबाला हो
जहां
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कविताअतुकांत कविता
मुश्किल हो गया
जब तुम मुझसे
मिलना ही नहीं चाहते थे तो
फिर ये बातों का सिलसिला
प्यार-मोहब्बत की बातें
क्यों बढ़ाई.......??
क्यूँ झूठे चक्कर में डाला
तुम अपना इरादा
पहले ही बता देते
क्यूँ तुमने मेरा चैन
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कविताअतुकांत कविता
तुम्हें कब मना किया है
किसी से प्रेम करने को
तुम्हें कब मना किया है
लेकिन!प्यार करना तुम .....
किसी से प्यार करना
कहाँ गलत है....?
बस....!इतना ध्यान रहे
कि प्यार में अंधे हो कर
अपनों को नहीं भूलें......
उन्हें
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बहुत सुंदर रचना अच्छा लिखते हैं आप
तहेदिल से शुक्रिया जी
लेखअन्य
विधा-संस्मरण
नहीं भूला जाता
बात 1जून की है।मेरे दोस्त के पिता जी की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। सभी घर वाले बहुत हैरान रह गए कि एक दम से वे हमें छोड़ कर जा सकते है।
जब मुझे भी पता चला तो एक दोस्त
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कहानीअन्य
दिनांक- 03/09/२०२०
दिन- बृहस्पतिवार
विषय- पाप और पुण्य
विधा- लघु कथा
# मैं अपने दोस्त के घर उनके पिता की मृत्यु हो जाने पर गया हुआ था।मैं डेढ़ महीने तक उनके घर रहा, उसकी माँ और बच्चों के साथ ताकि एकदम से
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कहानीअन्य
दिनांक- 03/09/२०२०
दिन- बृहस्पतिवार
विषय- पाप और पुण्य
विधा- लघु कथा
# मैं अपने दोस्त के घर उनके पिता की मृत्यु हो जाने पर गया हुआ था।मैं डेढ़ महीने तक उनके घर रहा, उसकी माँ और बच्चों के साथ ताकि एकदम से
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कविताअतुकांत कविता
आना मेरी गली
तुम्हें मेरी
चाहत देखनी है तो
आना मेरी गली.........
तुम्हें अगर मेरा
प्यार देखना है तो
आना मेरी गली..........
तुम्हें मेरे दिल की
जुस्तजू देखनी है तो
आना मेरी गली...........
तुम्हें मेरे मन की
ख्वाहिश
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कविताअतुकांत कविता
क्या जानती हो
तुम क्या जानती हो
मेरे बारे में.....?
यहीं न कि मैं
तेरे पीछे पागल
हो चुका हूँ
तेरे प्यार में पड़ कर.....!
तुम यही सोचती हो न
कि मैं अगर बात
नहीं करूंगी तो भी
वो मुझसे दूर
नहीं हो सकता.....!
तुम
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कविताअतुकांत कविता
बुरा क्यूँ मानूँ
तुम मुझसे बात
करना नहीं चाहते तो
मैं बुरा क्यूँ मानूँ........
तुम मुझसे मिलना
नहीं चाहते हो तो
मैं बुरा क्यूँ मानूँ........
तुम मुझसे ख़फ़ा
रहना चाहते हो तो भी
मैं बुरा क्यूँ मानूँ........
तुम
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कविताअतुकांत कविता
ये कैसी आज़ादी
जब किसी घर में
चुल्हा न जले
और परिवार
भूखा ही सो जाए.....
जब किसी गांव में
गरीब लोगों को
भीख मांग कर
पेट भरना पड़े........
जब किसी शहर में
फुटपाथों पर
बेसहारों को भूखो
रहना पड़े
और सिर ढकने
के
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कविताअतुकांत कविता
दुःख होता है
तेरे हंसने पर
मैं भी हँसने लगता हूँ
तेरे दुःख से मुझे भी
दुःख होता है
तेरे दुःखी होने पर भी
मुझे दुःख होता है
तेरे रोने पर मुझे भी
रोना आता है।
पर,
मैं तेरे साथ
रो नहीं पाता हूँ....
इसका
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कविताअतुकांत कविता
मिलाते तो सही
आवाज़ से आवाज़
मिलाते तो सही....!
दिल से दिल
मिलाते तो सही.....!
मन से मन
मिलाते तो सही.....!
हाँ में हाँ
मिलाते तो सही.......!
सुर से सुर
मिलाते तो सही.....!
हाथ से हाथ
मिलाते तो सही.....!
नज़र से नज़र
मिलाते
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कविताअतुकांत कविता
तुम कहकर तो देखते
तुम मुझे अपना मान कर तो देखते
दिल का हाल बयां करके तो देखते
तेरी एक " हाँ " पर
अपना सब लुटा देते
सिर्फ़ एक बार दिल से ...
तुम कहकर तो देखते।
तुम मुझे अपना दर्द बयाँ करके तो देखते
तेरा
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कविताहरियाणवी रागिनी, अतुकांत कविता
पहल्यां ही बता देंदी
बैरण! तू मनै पहल्यां ही बता देंदी
जिब बात्याँ का सिलसिला शुरू करया था
क्यूँ इतणा लगाव बढ़ाया तनै
तनै जाण बूझ कै नै
मेरै गैल यू छल करया सै।
मैं तै ठीक था अपणी जिंदगी म्है
काट रया
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