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Sahitya Arpan - Sandeep Chobara
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Sandeep Chobara

Writer's Pen Name not added

मैं सन्दीप चौबारा जिला फतेहाबाद(हरियाणा)
M A हिंदी
Net पास
फिलहाल असिस्टेंट प्रोफेसर व स्कूल व्याख्याता की तैयारी कर रहा हूँ।

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    कविता हरियाणवी रागिनी First

    कविताअतुकांत कविता

    मैं फिर आऊँगा

    • Edited 3 years ago
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    • 123
    • 2 Mins Read

    🍒मैं फिर आऊँगा🍒

    सुनो..तुम याद रखना
    मैं फिर आऊँगा
    टूटा हुआ विश्वास लौटाने
    टूटी हुई उम्मीद पाने को
    अपने बीच पड़ चुकी
    अविश्वास और नाउम्मीदी
    की गाँठ को खोलने के लिए....

    मैं फिर आऊँगा
    एक न एक दिन
    ये तुम्हें
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    मैं फिर आऊँगा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मैं मरूँगा

    • Edited 3 years ago
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    • 130
    • 3 Mins Read

    मैं मरूँगा

    मैं नहीं मरूँगा
    किसी सड़क दुर्घटना में
    नदी या तालाब में डूब कर !

    मैं नहीं मरूँगा
    किसी ज़हर के सेवन से
    या नशे का आदि होने से !

    मैं नहीं मरूँगा
    पँखे से लटक कर
    या किसी पेड़ पर झूल कर !

    मैं नहीं
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    मैं मरूँगा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब जीवन का अटल सत्य है मृत्यु जो इसके भय को जीत लेता है वह सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है।

    Sandeep Chobara3 years ago

    जी बिलकुल

    कविताअतुकांत कविता

    दूर है

    • Edited 3 years ago
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    • 131
    • 2 Mins Read

    तुम भी मुझसे
    उतने ही दूर हो
    जितना आकाश
    धरती से दूर है

    जैसे दुर्लभ है
    धरती और आकाश का
    एक हो जाना
    वैसे ही हम दोनों का
    मिल पाना दुसाध्य है

    दूर से ही
    तुम्हें देखना
    और तृप्ति से
    कल्पना के आलिंगन में लेकर
    अतृप्त
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    दूर है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कविताअतुकांत कविता

    अच्छा हुआ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 174
    • 2 Mins Read

    चलो आखिरकार
    ए-2020 !
    तुम गुज़र ही गए
    अच्छा हुआ!
    तुम गुज़र ही गए....

    क्या क्या नहीं छीना तूने
    माँ से पुत्र, पुत्र से पिता
    बहन से भाई, भाई से भाई
    बहनों से उनका सुहाग
    दोस्तों से दोस्त भी छीना
    अपनों को अपनों से.......!

    कुछ
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    अच्छा हुआ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    क्या हो गई हालात

    • Edited 3 years ago
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    • 147
    • 3 Mins Read

    क्या हो गई हालात

    देख ले मालिक अन्नदाता की
    क्या हो गई हालात
    कितना तड़प रहा है किसान
    पी एम बदला सी एम बदला
    फिर भी ना बदले
    किसान के हालात
    कितना तड़प रहा है किसान


    आया पी एम बड़ा ही अंधा
    नहीं दिख रहा है
    सड़कों
    Read More

    क्या हो गई हालात,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    कविताअतुकांत कविता

    हम आगे बढ़ते जाएँगे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 126
    • 3 Mins Read

    हम आगे बढ़ते जाएँगे

    हे ! #ज़ालिम सरकार....
    तुम हमें #रोकने में
    अपनी पूरी जान झोंक देना
    हम फिर भी आगे #बढ़ते जाएँगे
    #मकसद अपना पूरा करेंगे.....!

    तुम लगा लेना सड़कों पर
    कितने ही #बैरिकेडस, #पत्थर
    #ट्रक और चाहे #कंटीले
    Read More

    हम आगे बढ़ते जाएँगे,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    क्या कहें

    • Edited 3 years ago
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    • 136
    • 2 Mins Read

    क्या कहें..?

    क्या कहें..?
    कुछ कहा नहीं जाता अब
    ऐसा मुग्ध किया
    उस मुग्धा ने कि
    हमें बेचैनियां दे गई.....

    मैं तो धीर था अपने में
    अधीर उसने बना दिया
    मैं पीठमर्द था बना
    ख़ंजर उसने चला दिया

    वो परकीया थी
    वो अभिसारिका
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    क्या कहें,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    रोष

    • Edited 3 years ago
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    • 214
    • 2 Mins Read

    #रोष

    ए-दोस्त...
    हम इतने तो बुरे नहीं थे
    जो हम पर तुम
    इतना रोष जता रहे हो.....

    हम तो दिल से भी
    तुमसे दूर नहीं थे
    जो इतना दूर कर दिया है हमें.....

    तुम्हें हक था हम पर
    रोष करने का
    लेकिन बेवजह
    हम पर इतना
    रोष जताना
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    रोष,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया भाई

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    अच्छी रचना

    कविताअतुकांत कविता

    दीपावली

    • Edited 3 years ago
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    • 92
    • 2 Mins Read

    किसकी है दिवाली
    किसकी है होली
    किसके सब ये त्योहार...?

    एक दिन दिये जलाकर
    एक दिन खुशियां मनाकर
    कम तो नहीं हो जाती
    ये दुश्वारियां....?
    बाकि दिनों तो फिर वही
    मारा-मारी, माथा -फोड़ी
    दो रोटी के लिए
    जहमा-जहमी
    Read More

    दीपावली,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    पढ़ पाऊँ

    • Edited 3 years ago
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    • 154
    • 2 Mins Read

    पढ़ पाऊँ

    हमेशा से ही
    मेरी हरसत रही है ये
    कि मैं भी कभी देखूँ
    किसी को सामने बैठा कर
    उसकी झील सी आँखों में
    अपने को डुबो कर....!

    एक ख्वाहिश ही रही कि
    उसकी आँखों को पढ़ पाऊँ
    क्या लिखा है उसके दिल में
    क्या चाहत
    Read More

    पढ़ पाऊँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सोचते रहना

    • Edited 3 years ago
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    • 190
    • 2 Mins Read

    सुनो-

    तुम्हें हर बार #सोचना
    और-
    सोचते रहना

    #बदन में एक
    #सिहरन सी उठती है
    तुम्हें याद करके
    एक तो #शीत
    और-
    दूसरा तुम्हें #महसूस करना
    अक्सर #दर्द जगा जाता है....

    #तन्हाइयां भी असमय
    घेर लेती है आकर
    उठते दर्द
    Read More

    सोचते रहना,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    उत्तम सृजन

    Sandeep Chobara3 years ago

    हार्दिक आभार जी???

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    भावपूर्ण कविता

    Sandeep Chobara3 years ago

    जी बेहद शुक्रिया??

    कविताअतुकांत कविता

    पूनम का चाँद

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 99
    • 3 Mins Read

    ए सुनो-

    पूनम का चाँद
    हो गई हो तुम आजकल
    महीने बाद ये तो आ जाता है
    लेकिन तुम्हारा आना बाकि है
    अंधेरी रातों में अब
    तुम्हारी यादें झुलसाए जाती है

    पूनम का चाँद
    जितना है हमसे दूर
    उतना तुम भी दूर हो गई
    जिसका
    Read More

    पूनम का चाँद,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    अच्छा लगता है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 210
    • 2 Mins Read

    सुनो -
    मेरे पास
    तुम नहीं हो
    पर तुम्हारी कुछ चीजें
    कुछ तुम्हारी यादें रखी हैं

    तुम्हारे बिना
    तुम्हारी याद में
    वो लाल टी-शर्ट
    पहन लेता हूँ
    जो तुमने कभी
    उपहार में दी थी
    उसको पहनते वक़्त
    तुम्हें सोचना....
    Read More

    अच्छा लगता है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    वो सब किया

    • Edited 3 years ago
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    • 102
    • 2 Mins Read

    उसने कहा
    मैं तुम्हारे लिए
    कुछ भी कर सकती हूं....

    तुम जो कहोगे
    वो कर दूंगी
    एक बार तुम कह
    कर तो देखो.......

    जो मांगोगे
    जो कहोगे
    सब दे दूँगी
    मुझे एक बार
    बता कर तो देखो......

    फिर उसने....
    जो कहा
    सब करके दिखाया......!

    उसने
    Read More

    वो सब किया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बदल लिया है

    • Edited 3 years ago
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    • 125
    • 2 Mins Read

    ढूँढोगे जब भी
    मुझे
    वहाँ मत ढूंढना
    जहाँ....
    छोड़ कर गए थे मुझे

    वो गाँव छोड़ दिया है
    #मकां बदल लिया है
    और
    सुनोगे......
    #दिल भी बदल लिया
    जो कभी
    अपनों के #अहसासों से
    सदा भरा रहता था........

    अब वहाँ तुम्हें
    सिर्फ़.....
    #वीरानियाँ
    #तन्हाइयां
    #दुश्वारियां
    और
    Read More

    बदल लिया है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    धोखा

    • Edited 3 years ago
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    • 255
    • 3 Mins Read

    विषय - धोखा
    आयोजन- प्रतियोगिता
    विधा- मुक्त
    एड ए टैग- #धोखा
    दिनांक-04/10/२०२०

    धोखा

    हमने कहाँ नहीं
    धोखे खाए...?

    जन्म के बाद
    शारिरिक अक्षमता
    ने जकड़ लिया!

    फिर साथ ही
    गरीबी के सांप ने
    डस लिया
    पढ़ने-लिखने
    खाने-पीने
    और
    ओढ़ने-पहनने
    Read More

    धोखा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बढ़िया रचना..?

    Sandeep Chobara3 years ago

    जी आभार??

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    वाह... बहुत खूब

    Sandeep Chobara3 years ago

    शुक्रिया जी??

    कविताअतुकांत कविता

    मेरे गले में

    • Edited 3 years ago
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    • 133
    • 2 Mins Read

    मेरे गले में
    तेरी बांहों का घेरा हो
    और मैं तेरी पीठ पर अपने नाखूनों से
    लिख दूँ तेरा नाम.....

    लग कर मेरे सीने से
    तू कर दे मुझे मेहरबान
    या अनछुआ रख कर
    कर दे मुझे तू फ़ना.......

    ये मेरी इश्क हक़ीकी
    देख..! कर ना दे
    Read More

    मेरे गले में,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    उसने कहा

    • Edited 3 years ago
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    • 156
    • 4 Mins Read

    उसने कहा

    एक दिन उसने कहा -
    तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो
    तुमसे बात करना अच्छा लगता है....!

    मैंने कहा...
    मैं तुझे क्यूँ अच्छा लगता हूँ.....?
    तो वो बस इतना ही कह पाई
    पता नहीं...
    लेकिन मुझे अच्छे लगते हो...!

    तुम सबकी
    Read More

    उसने कहा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तब मैं लिखता हूँ

    • Edited 3 years ago
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    • 158
    • 2 Mins Read

    तब मैं लिखता हूँ

    जब मन #उदास होता है
    जब दिल #दुखी होता है
    मैं कहना चाहता हूं सब
    जब मैं अकेले में होता हूं
    जब कोई #नजर नहीं आता है
    जब अपनों की #याद आती है
    सब भूले #बिसरे याद आते हैं
    तो तब मैं उठाता हूं
    #कागज
    Read More

    तब मैं लिखता हूँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सब याद रखा जाएगा

    • Edited 3 years ago
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    • 449
    • 4 Mins Read

    दिनांक- 24/09/2020
    दिन- गुरुवार
    विषय- चित्र आधारित
    विधा-मुक्तक
    शीर्षक- सब याद रखा जाएगा

    सब याद रखा जाएगा

    रात दिन जी तोड़ कर मेहनत करना
    मिट्टी के साथ मिट्टी होना
    भीषण गर्मी में भी न देखना
    कड़कती ठण्ड में भी
    Read More

    सब याद रखा जाएगा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    किसानों के जीवन की विषमताओं को दर्शाती अच्छी रचना।

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    किसान के जीवन को खूबसूरती से उकेरा है आपने परन्तु कही कही शब्दो मे ताल मेल नही बैठा है।

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति किन्तु कसाव की कमी नजर आ रही है,साथ ही विराम चिह्न का प्रयोग जरूर करें जिससे पाठकों को पढ़ने में सुविधा हो, कहां रुकना है, कविता का प्रवाह क्या है, थोड़ी सी कमी के साथ आपने एक सार्थक प्रयास किया है जो सफल होती नजर आ रही है। बेहतरीन सृजन और उम्दा अभिव्यक्ति।

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    आपकी कविता सत्य को बिल्कुल साफ शब्दों में कह रहे है। लेकिन कर्ज में डूबे... से लेकर झूल जाना तक फिर दो बार दोहराया गया है, जो कि अनुचित लगता है।

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    किसानों की सम्स्या का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया गया है

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    जी , एक बात ,,यदि अंत से दूसरी पंक्ति से "फिर"हटा देते तो भी चलता। क्योंकि तीसरी में आ चुका है। हाँ, ख़ुशी की बात यह कि वर्तनी आदि की त्रुटियां नहीं की आपने।धन्यवाद।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    पुनःश्च

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    जय किसान। अपने कृषि प्रधान देश के अन्नदाता किसानों का मुद्दा उठा आपने सामयिक समस्या का सार्थक चित्रण किया है। कृषकों की वास्तविक दशा पर प्रकाश डाल जागरूकता लाने की कोशिश सराहनीय है। तपती धूप, बारिश व कड़कड़ाती ठंड की परवाह नहीं करते हुए हड्डीतोड़ मेहनत करना । फिर फ़सल का प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद हो जाना। पुनः पेट भरने आदि के लिए बैंक या साहूकारों से ऋण लेना। यही विडम्बना है किसानों की। सच ही कहा कि भारतीय किसान का कर्ज़ में ही जन्म जीवन व मरण होता है। ही

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    किसानों द्वारा सहन करने वाली अधिकांश महत्वपूर्ण समस्याओं को रचना में उठाने का बहुत अच्छा प्रयास किया गया है. किसान अक्सर जानकारी न होने के कारण वहां के स्थानीय महाजन के ऋण के दुष्चक्र में फंस कर निकल नहीं पाते. यह आजकी एक ज्वलंत समस्या है. . यह एक विडम्बना ही है कि किसान, जिनके योगदान के बिना हम जीवित भी नहीं रह सकते, उन्हीं के उपज के मूल्य में जरा सी भी बढ़ोतरी होने पर पूरे देश में हो हल्ला होने लगता है, अन्य उत्पादों के लिए देश भर में, खुला बाजार है लेकिन किसान की सीमा अब तक स्थानीय मंडीसमिति है जो अढतियों के नियन्त्रण में हैं. वैसे अभी इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. जिनके हित प्रभावित हो रहे हैं. वे विरोध भी कर रहे हैं. सामयिक विषय पर अच्छी रचना..! वैसे बैंक में क्रषि ऋण के विषय में, ब्याज दर कम रहती है. शर्तें आसान रहती हैं. किसानों की निजी जरूरतों के लिए, और महाजनी ऋण चुकाने के लिए भी अलग से योजनाएं हैं.

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Sandeep Chobara3 years ago

    हार्दिक धन्यवाद जी????

    कविताअतुकांत कविता

    मायूसी

    • Edited 3 years ago
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    • 155
    • 4 Mins Read

    मायूसी

    तुझसे मिलने से पहले
    खुश थे अपनी जिंदगी में
    जब से तुम मिली हो न
    दिल में हर वक़्त मेरे
    मायूसी रहती है तुमको लेकर...!

    तेरी मासूमियत को देख कर
    सोचा था हमने कि
    तू खुश हो जाएगी
    लेकिन तूने तो मिल कर
    Read More

    मायूसी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    थोड़ा सैड है लेकिन अच्छी है। ?

    Sandeep Chobara3 years ago

    ओह! हार्दिक आभार जी

    कविताअतुकांत कविता

    सवाल करेंगे

    • Edited 4 years ago
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    • 118
    • 3 Mins Read

    सवाल करेंगे

    सुनो......!
    एक दिन
    तुम्हारे बच्चे
    तुम्हीं से सवाल करेंगे
    कि आपने कभी किसी से
    प्यार किया है.....?

    क्या जिससे प्यार किया था
    उसका नाम अपने
    होंठों पर ला पाएंगे.....?

    नहीं..ना...!
    आप नजरें झुकाने के अलावा
    कोई
    Read More

    सवाल करेंगे,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मौला.....! तू करम करना

    • Edited 4 years ago
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    • 107
    • 3 Mins Read

    मौला..! तू करम करना

    अल्लाह..! तू करम करना
    मौला..! तू रहम करना
    बस.... इतनी दया तू करना
    जो भटक गए हैं
    उनको तू राह दिखाना
    उनको तू सद्बुद्धि देना
    उनको तू सन्मार्ग दिखाना
    वे नापाक हरकतों को छोड़ दें
    कदाचार को
    Read More

    मौला.....! तू करम करना,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    जब हम किसी के प्यार में होते हैं तो

    • Edited 4 years ago
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    • 177
    • 4 Mins Read

    किसी के प्यार में होते हैं तो

    जब हम किसी के
    प्यार में होते हैं तो......
    बहुत से अपनों को खो देते हैं
    सबसे कतराते रहते हैं
    एक डर सा बना रहता है
    चेहरे की हवाइयां उड़ी रहती है
    मन में भी एक खटका रहता है।

    जब
    Read More

    जब हम किसी के प्यार में होते हैं तो,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सम्भल जा ज़रा

    • Edited 4 years ago
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    • 161
    • 4 Mins Read

    ?सम्भल जा ज़रा?

    ए-दोस्त......
    सम्भल जा ज़रा
    पछताएगा,रोएगा
    अपने किए दुष्कृत्यों पर
    फिर सोच सोच कर.......

    अभी समय है
    बच सकता है तो बच
    बचा सकता है तो बचा
    अपनों के अहसासों को
    अपनों के अरमानों को........

    तुमसे ही तो
    Read More

    सम्भल जा ज़रा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 4 years ago

    बहुत खूब....

    लेखआलेख

    हिंदी भाषा की महत्ता

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 190
    • 11 Mins Read

    हिंदी भाषा की महत्ता

    भाषा संस्कार है तो साहित्य संस्कृति है। भाषा हमारी परंपरा, सभ्यता और विरासत को बचाती है ।भाषा और साहित्य एक दूसरे के घनिष्ठ हैं ।किसी भी देश की भाषा वहां की प्रकृति के अनुरूप
    Read More

    हिंदी भाषा की महत्ता,<span>आलेख</span>
    user-image
    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत खूब समझाई आपने हिंदी भाषा की महत्ता

    कविताअतुकांत कविता

    हम उस देश के वासी हैं

    • Edited 4 years ago
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    • 278
    • 5 Mins Read

    हम उस देश के वासी हैं

    जहाँ बेरोजगारों को रोजगार नहीं
    जहां कामगारों को काम नहीं
    जहां सिक्का चलता मंत्रियों का
    हम उस देश के वासी हैं......

    जहां बड़े-बड़े होते घोटाले हों
    जहां निजीकरण का बोलबाला हो
    जहां
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    हम उस देश के वासी हैं,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत खूब

    कविताअतुकांत कविता

    मुश्किल हो गया

    • Edited 4 years ago
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    • 158
    • 4 Mins Read

    मुश्किल हो गया

    जब तुम मुझसे
    मिलना ही नहीं चाहते थे तो
    फिर ये बातों का सिलसिला
    प्यार-मोहब्बत की बातें
    क्यों बढ़ाई.......??

    क्यूँ झूठे चक्कर में डाला
    तुम अपना इरादा
    पहले ही बता देते
    क्यूँ तुमने मेरा चैन
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    मुश्किल हो गया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुम्हें कब मना किया है

    • Edited 4 years ago
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    • 420
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    तुम्हें कब मना किया है

    किसी से प्रेम करने को
    तुम्हें कब मना किया है
    लेकिन!प्यार करना तुम .....
    किसी से प्यार करना
    कहाँ गलत है....?

    बस....!इतना ध्यान रहे
    कि प्यार में अंधे हो कर
    अपनों को नहीं भूलें......
    उन्हें
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    तुम्हें कब मना किया है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 4 years ago

    औसत

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत सुंदर रचना अच्छा लिखते हैं आप

    Sandeep Chobara4 years ago

    तहेदिल से शुक्रिया जी

    लेखअन्य

    भूला नहीं जाता

    • Edited 4 years ago
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    • 209
    • 7 Mins Read

    विधा-संस्मरण

    नहीं भूला जाता

    बात 1जून की है।मेरे दोस्त के पिता जी की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। सभी घर वाले बहुत हैरान रह गए कि एक दम से वे हमें छोड़ कर जा सकते है।
    जब मुझे भी पता चला तो एक दोस्त
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    भूला नहीं जाता,<span>अन्य</span>
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    कहानीअन्य

    पाप और पुण्य

    • Edited 4 years ago
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    • 224
    • 8 Mins Read

    दिनांक- 03/09/२०२०
    दिन- बृहस्पतिवार
    विषय- पाप और पुण्य
    विधा- लघु कथा

    # मैं अपने दोस्त के घर उनके पिता की मृत्यु हो जाने पर गया हुआ था।मैं डेढ़ महीने तक उनके घर रहा, उसकी माँ और बच्चों के साथ ताकि एकदम से
    Read More

    पाप और पुण्य,<span>अन्य</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 4 years ago

    Nice stiry

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत सुन्दर रचना

    Sandeep Chobara4 years ago

    जी शुक्रिया

    कहानीअन्य

    पाप और पुण्य

    • Edited 4 years ago
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    • 111
    • 8 Mins Read

    दिनांक- 03/09/२०२०
    दिन- बृहस्पतिवार
    विषय- पाप और पुण्य
    विधा- लघु कथा

    # मैं अपने दोस्त के घर उनके पिता की मृत्यु हो जाने पर गया हुआ था।मैं डेढ़ महीने तक उनके घर रहा, उसकी माँ और बच्चों के साथ ताकि एकदम से
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    पाप और पुण्य,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ठुकराई गई

    • Edited 4 years ago
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    • 174
    • 4 Mins Read

    ठुकराई गई

    वह बार बार
    ठुकराई गई है शौहर द्वारा
    घर से और अपने मन से
    लेकिन वो फिर भी
    वहीं खट रही है
    पड़ी हुई है घर में......!

    जब भी वो जाना चाहती है
    अपने पति की शोहबत में
    पदाघात सहती है हर बार
    कभी पेट पर.....
    कभी
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    ठुकराई गई,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आना मेरी गली

    • Edited 4 years ago
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    • 210
    • 3 Mins Read

    आना मेरी गली

    तुम्हें मेरी
    चाहत देखनी है तो
    आना मेरी गली.........

    तुम्हें अगर मेरा
    प्यार देखना है तो
    आना मेरी गली..........

    तुम्हें मेरे दिल की
    जुस्तजू देखनी है तो
    आना मेरी गली...........

    तुम्हें मेरे मन की
    ख्वाहिश
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    आना मेरी गली,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    क्या जानती हो

    • Edited 4 years ago
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    • 256
    • 3 Mins Read

    क्या जानती हो


    तुम क्या जानती हो
    मेरे बारे में.....?
    यहीं न कि मैं
    तेरे पीछे पागल
    हो चुका हूँ
    तेरे प्यार में पड़ कर.....!

    तुम यही सोचती हो न
    कि मैं अगर बात
    नहीं करूंगी तो भी
    वो मुझसे दूर
    नहीं हो सकता.....!

    तुम
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    क्या जानती हो,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत खूब

    कविताअतुकांत कविता

    बुरा क्यूँ मानूँ

    • Edited 4 years ago
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    • 156
    • 4 Mins Read

    बुरा क्यूँ मानूँ

    तुम मुझसे बात
    करना नहीं चाहते तो
    मैं बुरा क्यूँ मानूँ........

    तुम मुझसे मिलना
    नहीं चाहते हो तो
    मैं बुरा क्यूँ मानूँ........

    तुम मुझसे ख़फ़ा
    रहना चाहते हो तो भी
    मैं बुरा क्यूँ मानूँ........

    तुम
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    बुरा क्यूँ मानूँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ये कैसी आज़ादी

    • Edited 4 years ago
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    • 146
    • 4 Mins Read

    ये कैसी आज़ादी

    जब किसी घर में
    चुल्हा न जले
    और परिवार
    भूखा ही सो जाए.....

    जब किसी गांव में
    गरीब लोगों को
    भीख मांग कर
    पेट भरना पड़े........

    जब किसी शहर में
    फुटपाथों पर
    बेसहारों को भूखो
    रहना पड़े
    और सिर ढकने
    के
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    ये कैसी आज़ादी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    मुद्दा अच्छा है इसे और बेहतरीन ढगं से व्यक्त कर सकते है।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Champa Yadav

    Champa Yadav 4 years ago

    बहुत.... खूब.... सच कहा आपने

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 4 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sandeep Chobara4 years ago

    शुक्रिया जी

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बेहतरीन

    Sandeep Chobara4 years ago

    आभार जी

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 4 years ago

    निशब्द

    Sandeep Chobara4 years ago

    जी आभार

    कविताअतुकांत कविता

    तन्हाई

    • Edited 4 years ago
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    • 381
    • 3 Mins Read

    किसी दिन
    तन्हाई में
    बैठ कर
    तू भी सोचोगे........

    कि वो एक ही था
    जो मेरी हर एक
    बात मानता था..........!!

    आज तुम्हारे पास
    वक़्त नहीं है न
    हमसे बात करने का
    किसी दिन
    तुम तरस जाओगे
    हमसे दो बात करने को.......!

    तुम्हें हक है
    Read More

    तन्हाई,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    समय समय की बात है,आज उनके पास नहीं है,कल आप न दे पाएंगे।

    Champa Yadav

    Champa Yadav 4 years ago

    बहुत... खूब...

    Sandeep Chobara4 years ago

    हार्दिक आभार

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 4 years ago

    अच्छा लिखा

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 4 years ago

    वाह

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 4 years ago

    वाह क्या बात है

    कविताअतुकांत कविता

    दुःख होता है

    • Edited 4 years ago
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    • 111
    • 4 Mins Read

    दुःख होता है


    तेरे हंसने पर
    मैं भी हँसने लगता हूँ
    तेरे दुःख से मुझे भी
    दुःख होता है
    तेरे दुःखी होने पर भी
    मुझे दुःख होता है
    तेरे रोने पर मुझे भी
    रोना आता है।

    पर,
    मैं तेरे साथ
    रो नहीं पाता हूँ....
    इसका
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    दुःख होता है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    दोस्ती

    • Edited 4 years ago
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    • 96
    • 4 Mins Read

    दोस्ती

    न तो हंसाया तुमने
    न ही रुलाया तुमने
    न कोई झगड़ा तुमसे
    न ही कोई गिला तुमसे
    न ही कोई शिकवा तुमसे
    न ही कोई शिकायत तुमसे
    फिर भी ए-दोस्त....
    तुम्हें दोस्ती का
    ये दिन मुबारक हो........!

    न तो कभी दूर किया
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    दोस्ती,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    रक्षाबंधन

    • Edited 4 years ago
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    • 145
    • 4 Mins Read

    रक्षाबन्धन

    बड़ा चाव चढ़ जाता था
    जब आता था त्योहार रक्षाबंधन का
    बहनें आती मायके थी
    बहुत सारे अरमान लेकर।

    पर अबकी बार वो
    नहीं बांध पाएगी
    उस भाई की कलाई पर
    अपनी रक्षा का सूत्र।
    अब कैसे जा पाएगी
    वो बहनें.....
    जिसका
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    रक्षाबंधन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मिलाते तो सही

    • Edited 4 years ago
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    • 209
    • 3 Mins Read

    मिलाते तो सही

    आवाज़ से आवाज़
    मिलाते तो सही....!
    दिल से दिल
    मिलाते तो सही.....!
    मन से मन
    मिलाते तो सही.....!
    हाँ में हाँ
    मिलाते तो सही.......!
    सुर से सुर
    मिलाते तो सही.....!
    हाथ से हाथ
    मिलाते तो सही.....!
    नज़र से नज़र
    मिलाते
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    मिलाते तो सही,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुम कह कर तो देखते

    • Edited 4 years ago
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    • 161
    • 4 Mins Read

    तुम कहकर तो देखते


    तुम मुझे अपना मान कर तो देखते
    दिल का हाल बयां करके तो देखते
    तेरी एक " हाँ " पर
    अपना सब लुटा देते
    सिर्फ़ एक बार दिल से ...
    तुम कहकर तो देखते।

    तुम मुझे अपना दर्द बयाँ करके तो देखते
    तेरा
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    तुम कह कर तो देखते,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताहरियाणवी रागिनी, अतुकांत कविता

    पहल्यां ही बता देंदी

    • Edited 4 years ago
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    • 235
    • 5 Mins Read

    पहल्यां ही बता देंदी


    बैरण! तू मनै पहल्यां ही बता देंदी
    जिब बात्याँ का सिलसिला शुरू करया था
    क्यूँ इतणा लगाव बढ़ाया तनै
    तनै जाण बूझ कै नै
    मेरै गैल यू छल करया सै।

    मैं तै ठीक था अपणी जिंदगी म्है
    काट रया
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    पहल्यां ही बता देंदी,<span>हरियाणवी रागिनी</span>, <span>अतुकांत कविता</span>
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