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Sahitya Arpan - Dr. Rajendra Singh Rahi

कवितागीत

माँ तुम्हारे रूप से

  • Added 6 months ago
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  • 220
  • 5 Mins Read

गीत...

माँ तुम्हारे रूप से निर्मित हुआ साकार हूँ।
देखती जो तुम रही उस स्वप्न का आकार हूँ।।

पूछता हूँ स्वयं से जब मैं धरा पर कौन हूँ।
माँ नहीं मिलता यहाँ उत्तर इसी से मौन हूँ।।
किंतु हूँ जो
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माँ तुम्हारे रूप से ,<span>गीत</span>
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कवितागीत

आओ और सराहा जाये

  • Added 1 year ago
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  • 43
  • 5 Mins Read

गीत...

आओ और सराहा जाये,
जिनके सपने बोल रहे हैं।
जो पथरीली उम्मीदों को,
श्रम से अपने रोल रहे हैं।।

उस बंधन से नाता तोड़ो,
जिनसे हैं सपने मर जाते।
टकराकर अन्तर्मन के हर,
राग सुकोमल हैं डर जाते।।
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आओ और सराहा जाये ,<span>गीत</span>
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कविताअतुकांत कविता

समय...

  • Edited 1 year ago
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  • 77
  • 4 Mins Read

समय...

समय!
तू (सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान ) है
तेरी सत्ता का वर्चस्व,
छाया हुआ है;
जग के प्रत्येक कण पर
तेरी शक्ति के समक्ष, हर कोई
जैसे बौना है|
देव ,मानव -सभी
तेरी आज्ञा के गुलाम !
किसी में साहस नहीं, जो
तेरी
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समय... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितागीत

गीत.. हाथ में खंजर लिए

  • Edited 1 year ago
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  • 90
  • 5 Mins Read

गीत....

हाथ में खंजर लिए हिंसा कराना चाहते।
कौन हैं जो देश को मेरे जलाना चाहते।

स्वर्ग-सी धरती हमारी राग रंगत से भरी।
और रहती है सुवासित हर्ष पुष्पों से हरी।।
उर्वरा इस भूमि को बंजर बनाना चाहते।
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गीत.. हाथ में खंजर लिए ,<span>गीत</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

देश में छिपे हुए दुश्मन.. जिन्हें देश में अस्थिरता ही चाहिए.

कवितागीत

गीत.. मुरझाने से क्यों घबराना

  • Edited 1 year ago
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  • 78
  • 6 Mins Read

गीत....

मुरझाने से क्यों घबराना,
जब बागों में फिर है आना।
रूप मिले चाहे जो भी पर,
गीत हमें यह फिर है गाना।।

यह परिवर्तन ही है शाश्वत,
कौन अछूता इससे जग में।
सब हैं इस धरती पर राही,
सबको चलते रहना
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गीत.. मुरझाने से क्यों घबराना ,<span>गीत</span>
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कवितागीत

गीत... हो रहे हैं लोग

  • Edited 1 year ago
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  • 100
  • 5 Mins Read

गीत... हो रहे हैं लोग...

हो रहे हैं लोग अपने, आप पर ही मुग्ध जब।
गीत कोई यूँ किसी का, क्यों सुनेगा बैठ अब।।

बज रही इन तालियाँ में, लोग खोते जा रहे।
लग रहा अच्छा जिसे जो, राग वह ही गा रहे।।
पूछता है
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गीत... हो रहे हैं लोग ,<span>गीत</span>
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कवितालयबद्ध कविता

नहीं दे सके साथ

  • Edited 2 years ago
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  • 85
  • 4 Mins Read

नहीं दे सके साथ... (शक्ति छंद)

नहीं दे सके साथ मेरा पिया।
इसी से जला ना सकी मैं दिया।।
रही हूँ तरसती लिए आस मन।
सजाते रहे स्वप्न बस तुम नयन।।

बताऊँ किसे वेदना कौन अब।
हँसेगें पता जानकर बात सब।।
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नहीं दे सके साथ ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कविताछंद

सुचिता का संदेश हो

  • Edited 2 years ago
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  • 86
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद...

सुचिता का संदेश हो, उन्मुख जीवन कर्म।
मानव- मानव में रहे, जीवित मानव धर्म।।
जीवित मानव धर्म, द्वेष मद का निष्कासन।
निंदित दुष्ट विकार, करे ना हम पर शासन।।
अनुशासन कर्तव्य, बने जन
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सुचिता का संदेश हो ,<span>छंद</span>
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कवितागीत

मेरे नयना बरस रहे हैं

  • Edited 2 years ago
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  • 91
  • 5 Mins Read

गीत.. (मेरे नयना...)

मेरे नयना बरस रहे हैं,
रिमझिम-रिमझिम जैसे सावन ।
प्रिय तुम बिन लगता है मुझको,
सूना- सूना सा घर आँगन ।।

घोल रहा मधु बाग पपीहा,
कोयल कू कू गीत सुनाये ।
मधुवन की मोहक शीतलता,
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मेरे नयना बरस रहे हैं ,<span>गीत</span>
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कविताछंद

दूध पिलाना साँप को

  • Edited 2 years ago
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  • 73
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद..

दूध पिलाना साँप को, होती घातक नीति।
दुर्जन करता है नहीं, कभी सुजन से प्रीति।।
कभी सुजन से प्रीति, हाथ लगते डस लेता।
लाख करो उपकार, जहर केवल वह देता।।
भूल रहे जो लोग, सीख यह याद दिलाना।
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दूध पिलाना साँप को ,<span>छंद</span>
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कविताछंद

होता लज्जा का रहा

  • Edited 2 years ago
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  • 92
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद...

होता लज्जा का रहा, सदियों से सम्मान।
आभूषण नारी बता, करते जन गुणगान।।
करते जन गुणगान, मानते इसको गौरव।
महके सारा विश्व, सुवासित पावन सौरव।।
संस्कृति का विध्वंस, देखकर मन है रोता।
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होता लज्जा का रहा ,<span>छंद</span>
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कवितागीत

कौन यहाँ पर...

  • Edited 2 years ago
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  • 69
  • 5 Mins Read

गीत.. ( कौन यहाँ पर ..)

कौन यहाँ पर किसे सुनाएं
हो उत्सुक जीवन की बातें।
कटने को दिन कट है जाता
पर मुश्किल से कटती रातें।।

अक्सर यादें आ आ करके,
गुजरे दिन में टहलाती हैं।
कुछ छूती हैं भाव सुकोमल
कुछ
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कौन यहाँ पर... ,<span>गीत</span>
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Anil Mishra Prahari

Anil Mishra Prahari 2 years ago

Bahut sunder rachana.

कविताछंद

चलना सीखा

  • Edited 2 years ago
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  • 79
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद...

चलना सीखा है नहीं, जिसने नंगे पाँव।
मुश्किल होगा भीड़ में, मिलना कोई ठाँव।।
मिलना कोई ठाँव, होड़ अतिशय है जारी।
बैठे जो निश्चिंत, गई उनकी मति मारी।।
करो नहीं स्वीकार, अभावों में
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चलना सीखा ,<span>छंद</span>
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कविताछंद

कुंडलिया छंद

  • Edited 2 years ago
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  • 116
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद...

आशा हो मन में अगर, देती जीवन शक्ति।
आने यह देती नहीं, मन में कभी विरक्ति।।
मन में कभी विरक्ति, वक्त विपरीत भले हो।
तरह- तरह जंजाल, पड़ा हर-रोज गले हो।।
नहीं डराती रात, दिखे हर ओर
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कुंडलिया छंद ,<span>छंद</span>
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कविताछंद

कुंडलिया छंद

  • Edited 2 years ago
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  • 161
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद....

जीना गर हो चाहते, पा सबका सम्मान।
रखना ही होगा हमें, देखो सबका मान।।
देखो सबका मान, बनोगे इससे न्यारा।
बोलेगें सब ठीक, दिखेगा दर्पण प्यारा।।
नहीं चुभेगा यार, किसी का खाना-पीना
सुख
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कुंडलिया छंद ,<span>छंद</span>
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कविताछंद

कुंडलिया छंद

  • Edited 2 years ago
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  • 91
  • 2 Mins Read

कुंडलिया छंद.....

भाई- भाई में रहे, बना सदा विश्वास।
स्वामी कोई हो नहीं, और न कोई दास।।
और न कोई दास, नहीं हो अपनी-अपना।
पूर्ण करें हर लोग, सभी का देखा सपना।।
हीन नहीं मन भाव, बंद गर कहीं कमाई।
बना
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कुंडलिया छंद ,<span>छंद</span>
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कवितादोहा

दोहा

  • Edited 3 years ago
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  • 165
  • 9 Mins Read

दोहा....

महक रहे हैं देखिए, उपवन के वे फूल।
मान रहे थे तुम जिसे, कांटे जैसा शूल।। 1

जेब खोल हक मांगना, साहब का अंदाज़।
बोल रहा निर्बल खड़ा, हमको आती लाज।। 2

सठ से सठता है उचित, भलमानस से नीक।
उल्टी मति
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दोहा,<span>दोहा</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

कविताअतुकांत कविता

हो जाओ तैयार साथियों

  • Edited 3 years ago
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  • 216
  • 5 Mins Read

पडोसी दुश्मन से युद्ध के समय हमारे देश के एक जवान का अपने साथियों से कथन...

हो जाओ तैयार साथियों...

हो जाओ तैयार साथियों,
समय आ गया अर्पण का।
देख हृदय अब टूट गया है,
मां के दुख से ,दर्पण का।

धैर्य नहीं
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हो जाओ तैयार साथियों ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितादोहा

माँ/ बेटी

  • Edited 3 years ago
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  • 253
  • 5 Mins Read

माँ/बेटी

माँ होती है जगत में, ममता महिमा खान।
आओ मिलकर हम करें, माता का गुणगान।। 1

माँ बनती है बेटियाँ, करती जग विस्तार।
ढ़ोती हैं परिवार का, तन्मय होकर भार।। 2

माँ जैसा कोई नहीं, लक्ष्मी दुर्गा शक्ति।
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माँ/ बेटी,<span>दोहा</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

नमन शत शत बार

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

वाह

कविताअन्य

मैं दिल्ली हूँ दिल्ली

  • Edited 3 years ago
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  • 137
  • 6 Mins Read

गीत (मैं दिल्ली हूँ दिल्ली )....

बहुत हो चुका अपना दिल तो मिलाओ
मैं दिल्ली हूँ दिल्ली, न मुझको जलाओ..

वो काफ़िर लुटेरा, वो गद्दार अपने
लिया छीन जिसने निगाहों के सपने
सहा दर्द मैंने सितम कितना ज्यादा
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मैं दिल्ली हूँ दिल्ली ,<span>अन्य</span>
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कवितादोहा

दोहा

  • Edited 3 years ago
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  • 116
  • 5 Mins Read

दोहा....

विनती प्रभु रघुनाथ यह, करती धरा पुकार।
बढ़ता हर-दिन जा रहा, दुर्जन अत्याचार।। 1

रहते हो तत्पर सदा, करते जन उद्धार।
भक्तों के कल्याण में, मंगलमय अवतार।। 2

आओ प्रभु फिर से धरा, सज्जन रहे निहार।
जीवन
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दोहा,<span>दोहा</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह सराहनीय रचना

कवितादोहा

दोहा

  • Edited 3 years ago
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  • 231
  • 5 Mins Read

दोहा...

रामनाम औषधि जगत, महिमा अपरम्पार।
जिह्वा पर आते टरे, व्याधि सकल संसार।। 1

धन वैभव से पूछिए, अंत समय क्या साथ।
राम राम कहते रहो, हर-पल इनका हाथ।। 2

ज्ञान मिले यह कामना, हो सत का आभास।
करना मन निर्मल
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दोहा,<span>दोहा</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत खूब लिखा है।

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत खूब

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

जयश्री राम

कवितागजल

जो अपने है उनको पराया ना कर

  • Edited 3 years ago
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  • 142
  • 3 Mins Read

ग़ज़ल...

जो अपने है उनको पराया ना कर,
तू रिस्तो को हरदम हराया ना कर।

अगर चाहता है रहें सब महकते,
तो गुलशन की खुशबू चुराया ना कर।

नहीं जिनकी आदत खुशामदी करना,
यूँ खंजर से उनको डराया ना कर।

अमन-चैन का
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जो अपने है उनको पराया ना कर ,<span>गजल</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कविताअन्य

नया वर्ष

  • Edited 3 years ago
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  • 73
  • 4 Mins Read

नया वर्ष...

नया वर्ष हो सुखद कामना
करें आज सारे जन मिलकर
कर्म करें इस तरह सतत हम
महके पुष्प चतुर्दिक खिलकर..

दूर कलुषता भाव हृदय से
निर्मल हो मन सबका जग में
गिरे नहीं ठोकर खाकर अब
कोई भी इस जीवन
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नया वर्ष ,<span>अन्य</span>
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कवितागजल

राह में कुछ लोग अब भी मुस्कराते चल रहे

  • Edited 3 years ago
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  • 208
  • 3 Mins Read

ग़ज़ल...

राह में कुछ लोग अब भी मुस्कराते चल रहे,
लग रहा है इस तरह वह कुछ छुपाते चल रहे।

देखकर हैरान उनकी हरकतों से हूँ मगर,
जानता हूँ आग पानी में लगाते चल रहे।

यह तरक्की हो रही जो जेब से तो है नहीं,
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राह में कुछ लोग अब भी मुस्कराते चल रहे ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

मेरे सवाल पास में उनके पड़े हुए

  • Edited 3 years ago
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  • 180
  • 3 Mins Read

ग़ज़ल...

मेरे सवाल पास में उनके पड़े हुए
देते नहीं जवाब है साहब अड़े हुए...

मशगूल इतने हो गये कि देखते नहीं
तकलीफ से बेज़ार हुए जो खड़े हुए...

माँ-बाप के सपनों से नहीं आज वास्ता
बेटों को कहाँ ध्यान
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मेरे सवाल पास में उनके पड़े हुए ,<span>गजल</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कवितागजल

उनसे जो हमारी ये मुलाकात हो गई

  • Edited 3 years ago
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  • 80
  • 2 Mins Read

ग़ज़ल...

उनसे हमारी ये जो मुलाकात हो गई,
सबसे हसीन अपनी तो ये रात हो गई।

देखा तो लगा जैसे कहीं ख्वाब तो नहीं,
अच्छा ये हुआ दिल से सही बात हो गई।

गुलशन के महक फूल उठे छू लिया उन्हें,
मन में हजार सपनों
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उनसे जो हमारी ये मुलाकात हो गई ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

फिर से आँखें हुई सजल शायद

  • Edited 3 years ago
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  • 87
  • 3 Mins Read

ग़ज़ल...

फिर से आँखें हुई सजल शायद
बन रही है कोई ग़ज़ल शायद....

देखकर भी नहीं देखा मुझको
ऐसा लगता गए बदल शायद...

ढूँढते फिर रहे वो महफिल में
खूबसूरत सी इक शकल शायद...

बेवफा उनको कह नहीं सकते
जिनपे
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फिर से आँखें हुई सजल शायद ,<span>गजल</span>
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बेहतरीन

कवितालयबद्ध कविता

मैं किसान हूँ

  • Edited 3 years ago
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  • 154
  • 6 Mins Read

मैं किसान हूँ, वही अभागा...

मैं किसान हूँ, वही अभागा
जो ठोकर खा-खा ना जागा...

रहा अभावों में बस जीता
घावों को छिप-छिपकर सीता...

किया रात-दिन भू की पूजा
खाकर घुघिरी, चटनी, भूजा...

मडई, मेड़, बगल तरु सोया
उत्साहित
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मैं किसान हूँ ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मर्मस्पर्शी

कवितागजल

प्रभु मन में उम्मीद जगा दो

  • Edited 3 years ago
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  • 158
  • 3 Mins Read

प्रभु मन में उम्मीद जगा दो...

प्रभु मन में उम्मीद जगा दो
नयनों में सुचि स्वप्न सजा दो...

भटक न जाऊँ मैं दुनियां में
मुझको उत्तम राह दिखा दो...

कांप रहा तन वशीभूत भय
संशय, दुविधा दूर भगा दो...

डूब न जाये
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प्रभु मन में उम्मीद जगा दो ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

मुझे उनके आने का पैगाम देना

  • Edited 3 years ago
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  • 199
  • 3 Mins Read

मुझे उनके आने का पैगाम देना...

मुझे उनके आने का पैगाम देना
यही इक मुहब्बत का इनाम देना..

भरोसा वफा का बहुत यार पर है
नहीं बेवफा का उसे नाम देना...

गुज़ारिश करो मत नहीं ये सुनेंगे
बुढ़ापे में खुद को
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मुझे उनके आने का पैगाम देना ,<span>गजल</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Abasaheb Sarjerao

Abasaheb Sarjerao 3 years ago

badhiya

कवितागजल

ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है

  • Edited 3 years ago
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  • 87
  • 4 Mins Read

ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है...

ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है
यह इसी से ही उलझती जा रही है...

कर रहा है आदमी खुद ही शिकायत
आदमी की प्रीति मरती जा रही है....

ख्वाहिशें होती कहाँ..पूरी यहाँ सब
उमर तो हर-रोज
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ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है ,<span>गजल</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत खूब सर

कवितागजल

हमको फ़र्ज निभाना होगा

  • Edited 3 years ago
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  • 164
  • 3 Mins Read

हमको फ़र्ज निभाना होगा....

हमको फ़र्ज निभाना होगा
अपना कर्ज़ चुकाना होगा...

जिस माटी ने दिया सहारा
उनको हृदय लगाना होगा...

अंधियारा से जूझ रहा घर
दीपक वहाँ जलाना होगा...

मायूसी से उबर नयन में
सपना
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हमको फ़र्ज निभाना होगा ,<span>गजल</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कवितागजल

इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए

  • Edited 3 years ago
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  • 139
  • 4 Mins Read

ग़ज़ल....

इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए
ज़िन्दगी जीने के लिए खास होना चाहिए...

है सही किस्मत सभी की एक सी होती नहीं
शीर्ष पाने का मगर उल्लास होना चाहिए...

बस परीक्षा बैठना काफी नहीं होता यहाँ
है
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इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए ,<span>गजल</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

कवितागजल

बदला-बदला शहर हो गया

  • Edited 3 years ago
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  • 140
  • 4 Mins Read

ग़ज़ल....
बदला-बदला शहर हो गया...

बदला-बदला शहर हो गया
पानी उसका जहर हो गया...

इंसानों की बात नहीं यह..
शैतानों का बसर हो गया

हुए अपरिचित हम अपनों से
अनजानों का डगर हो गया ...

रहे समझते जिसको साथी
अवसरवादी
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बदला-बदला शहर हो गया ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

बहरी क्यों सरकार आज है

  • Edited 3 years ago
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  • 111
  • 2 Mins Read

बहरी क्यों सरकार आज है...

बहरी क्यों सरकार आज है
इतनी क्यों टकरार आज है...

कहाँ गया धरती का सेवक
दिखता बस दरबार आज है....

किया बग़ावत हक के ख़ातिर
भीषण फिर प्रतिकार आज है..

बिलख रहें जन हाथ पसारे
मिलता
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बहरी क्यों सरकार आज है ,<span>गजल</span>
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कविताअतुकांत कविता

बटुआ की याद

  • Edited 3 years ago
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  • 654
  • 7 Mins Read

बटुआ की याद...

याद है मुझे वह दिन
जब मैं पहली बार
पैंट बदलने के चक्कर में
अपना काला बटुआ
पहले वाले पैंट में
भूल गया था
और जल्दबाजी में
निकल गया था अपने आफ़िस
इस बात से बेखबर हो
कि पटुआ पास में नहीं
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बटुआ की याद ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों

  • Edited 3 years ago
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  • 87
  • 6 Mins Read

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों..

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन..

शौर्य तुम्हारा अतुलित, तुम हिम्मतवाले
जज्बा वतन की रक्षा का हो मन में पाले
देखो, करता गर्व
Read More

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

आओ मेरे जीवन साथी

  • Edited 3 years ago
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  • 125
  • 5 Mins Read

आओ मेरे जीवन साथी...

आओ मेरे जीवन साथी
साथ रहें हम यूँ ही हंसते
तब-तक सच में, जब-तक
इस जीवन की डोर जुड़ी है
और प्रेम अपना जीवित है
मन में हम दोनों के हरदम......
यद्यपि सच है जिम्मेदारी
झंझावातें इस जीवन
Read More

आओ मेरे जीवन साथी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितागजल

भर-भर लोटा पिए जा रहे

  • Edited 3 years ago
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  • 145
  • 2 Mins Read

भर-भर लोटा पिए जा रहे...

भर-भर लोटा पिए जा रहे
बनकर बोझा जिए जा रहे...

कहते थे देंगे सुख लेकिन
पीड़ा सबको दिए जा रहे...

खाया कसम नहीं छूने की
देखो कैसे छुए जा रहे...

हुआ अगर दिन कोई आतर
लगा सभी को मुए जा
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भर-भर लोटा पिए जा रहे ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

झूठ देख इंकार न कर

  • Edited 3 years ago
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  • 100
  • 3 Mins Read

झूठ देख इंकार न कर...

झूठ देख इंकार न कर
बेमतलब टकरार न कर...

हो संवेदनशील नहीं
उत्तम वह सरकार न कर...

लूट रहे है जो जन को
उनपे और विचार न कर...

गर ढोंगी खद्दरधारी
उनका कभी प्रचार न कर...

जिनका ऊंचा सिंहासन
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झूठ देख इंकार न कर ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

पानी पर चलता है क्यों

  • Edited 3 years ago
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  • 119
  • 3 Mins Read

पानी पर चलता है क्यों...

पानी पर चलता है क्यों
अपनो से जलता है क्यों...

नहीं रुकेगा धन-दौलत
सोच जरा छलता है क्यों...

ठीक नहीं जो काम लगे
उसको तू करता है क्यों...

जो दिखते ईद का चांद
उस पर यूँ मरता है क्यों...
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पानी पर चलता है क्यों ,<span>गजल</span>
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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

सुंदर

कविताअतुकांत कविता

होता समय बड़ा बलवान

  • Edited 3 years ago
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  • 152
  • 4 Mins Read

होता समय बड़ा बलवान.... (कविता)

रखना मानव इसका ध्यान
होता समय बहुत बलवान
रहता यह जब जिसके पास
वह ही उस पल होता खास
चतुर्दिशा में इससे सबने
पाया वैभव यश,सम्मान
होता समय बड़ा बलवान...

अगर समय का नहीं
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होता समय बड़ा बलवान ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

शिक्षक महान है।

  • Edited 3 years ago
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  • 101
  • 7 Mins Read

शिक्षक महान है...

शिक्षक संसार में महान है
शिक्षक युग का स्वाभिमान है ....

शिक्षक एक सरस संगीत है
शिक्षक विद्यार्थी का मीत है ....

शिक्षक अंधकार में प्रकाश है
शिक्षक धरती पर आकाश है ....

शिक्षक जलता हुआ
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शिक्षक महान है। ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितागजल

राम तुम्हें फिर आना होगा

  • Edited 3 years ago
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  • 189
  • 4 Mins Read

राम तुम्हें फिर आना होगा...

राम तुम्हें फिर आना होगा
अपना वचन निभाना होगा...

बढ़ते असुरों के प्रभाव से
धरती मुक्त कराना होगा...

अन्यायी, अत्याचारी पर
निर्दय शस्त्र उठाना होगा.....

नहीं छोड़ता यदि
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राम तुम्हें फिर आना होगा ,<span>गजल</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

राम का आह्वान करना अर्थात अच्छाई की कामना, बहुत बढ़िया।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर सटीक रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर आदरणीय, बिल्कुल सटीक

कवितागजल

उपवन फूल खिलाना होगा

  • Edited 3 years ago
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  • 209
  • 4 Mins Read

उपवन फूल खिलाना होगा...

उपवन फूल खिलाना होगा
मन में दीप जलाना होगा....

पथरीली राहों पर भी अब
अपना पांव बढ़ाना होगा...

सोये जो है भाग्य भरोसे
गहरी नींद जगाना होगा...

सुविचार सौन्दर्य जो निर्मल
अन्तस्
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उपवन फूल खिलाना होगा ,<span>गजल</span>
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कविताअतुकांत कविता

दीप वह फिर से जलेगा

  • Edited 3 years ago
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  • 288
  • 3 Mins Read

दीप वह फिर से जलेगा...

युग-युगों से युग-युगों तक
सत्य के पथ पर निरन्तर
बांधने को तिमिर का क्षण
वह शिखर पर से ढ़लेगा
दीप वह फिर से जलेगा....
जो पराजित हो गये हो
वेदना से तप्त होकर
ज्योति अन्तर्मन
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दीप वह फिर से जलेगा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

सुंदर

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कवितागजल

मिलकर देश उठाओ ना

  • Edited 3 years ago
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  • 192
  • 3 Mins Read

मिलकर देश उठाओ ना..

रुपया पैसा खाओ ना
ऐसे मुँह बिचकाओ ना ...

चाह रहे वो जो खाना
उनको वही खिलाओ ना...

रूठ गए जो बेमतलब
उनको और मनाओ ना...

खुश होंगे जिससे साहब
गीत वही सब गाओ ना...

दिखा महल गाडी घोड़ा
बाबा
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मिलकर देश उठाओ ना ,<span>गजल</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

Anupma Anu

Anupma Anu 3 years ago

बहुत सुंदर सृजन

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

कवितागजल

छोड़ो झूठी बात बनाना

  • Edited 3 years ago
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  • 124
  • 3 Mins Read

छोड़ो झूठी बात बनाना...

छोड़ो झूठी बात बनाना
नहीं रुकेगा कपट कमाना..

मालुम तो है ही यह सबको
भरता नहीं है कभी खजाना...

ढ़ह जायेगा महल एक दिन
व्यर्थ ही होगा लूट सजाना.....

लाख छिपाओ नहीं छिपेगा
जिसे चाहते
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छोड़ो झूठी बात बनाना ,<span>गजल</span>
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कविताअन्य

करवाचौथ

  • Edited 3 years ago
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  • 157
  • 3 Mins Read

हाइकु...

करवाचौथ
भारतीय संस्कृति
देती संस्कार।.. 1

रहेंगी व्रत
भारतीय नारियाँ
देखेंगी चाँद ।.. 2

पवित्र रिस्ता
पति-पत्नी का प्यार
यह त्यौहार।... 3

भारत देश
अद्वितीय मिशाल
करवाचौथ।... 4

करेंगी पूजा
पति
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करवाचौथ ,<span>अन्य</span>
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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

उम्दा सृजन

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

वाह

कवितागजल

आलू का तो हाल न पूछो

  • Edited 3 years ago
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  • 120
  • 3 Mins Read

आलू का तो हाल न पूछो...

आलू का तो हाल न पूछो
टेढ़ी कितनी चाल न पूछो...

प्याज, टमाटर आँखें ताने
पीली क्यों है दाल न पूछो....

मिरिच, मसाला, तेल, लगौना
सबका फैला जाल न पूछो...

लूट रहे है जन को तनकर
निर्भय आज दलाल
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आलू का तो हाल न पूछो ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

जनप्रतिनिधि इंसान करो

  • Edited 3 years ago
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  • 120
  • 3 Mins Read

जनप्रतिनिधि इंसान करो...

लोकतंत्र का ध्यान करो
सब अपना मतदान करो...

यह अवसर सबसे अच्छा
अच्छे की पहचान करो...

रुपया, कपडा, दारू ना
वोट सदा विज्ञान करो....

सुने समस्या जो जन की
उसका ही गुणगान करो...

उत्तम
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जनप्रतिनिधि इंसान करो ,<span>गजल</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर सीख भरी पोस्ट

कविताअन्य

हाइकु

  • Edited 3 years ago
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  • 327
  • 2 Mins Read

हाइकु...

तुम साथ हो
सफर ज़िन्दगी का
कट जायेगा। 1

भूल जाता हूँ
अपनी हर पीड़ा
तुम्हें छूकर। 2

तुम्हारा गुस्सा
दिलाता है विश्वास
तुम साथ हो। 3

बेटा शिवांश
अब बड़ा हो रहा
देना है ध्यान। 4

निभाना होगा
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हाइकु ,<span>अन्य</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर हाइकु लिखा है आपने

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

वाह

कवितानज़्म

हीन हो संवेदना से चल रहा है आदमी

  • Edited 3 years ago
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  • 147
  • 5 Mins Read

गीत.....

हीन हो संवेदना से चल रहा है आदमी
सिर्फ ईर्ष्या-द्वेष में जल रहा है आदमी...

कामनायें दे रही पीड़ा निरन्तर मौन हो
जानते सब ही मगर पूछते कि कौन हो
आ शिखर पर मगर ढल रहा है आदमी
हीन हो संवेदना से
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हीन हो संवेदना से चल रहा है आदमी ,<span>नज़्म</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

कवितानज़्म

देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे

  • Edited 3 years ago
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  • 93
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गीत... (गीत-संग्रह से)

देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे ...

जाने कैसा असर था मुझपे उन निगाहों का
देखने लग भी गया ख्वाब उनकी बाहों का
गीत फिर हम भी एक मन में
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देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे ,<span>नज़्म</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

कवितागजल

अच्छा होगा संवाद करो

  • Edited 3 years ago
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  • 159
  • 5 Mins Read

अच्छा होगा संवाद करो....

अच्छा होगा संवाद करो
कोई न व्यर्थ विवाद करो...

जो कथन स्वयं ही सीधा हो
उसका सीधा अनुवाद करो...

करता है कोई गलत अगर
मत डरो उठो फ़रियाद करो....

काटो हर थोथे बंधन को
जनमानस को आजाद
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अच्छा होगा संवाद करो ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

हक दुश्मन से मांग रहा है

  • Edited 3 years ago
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  • 238
  • 3 Mins Read

हक दुश्मन से मांग रहा है....

हक दुश्मन से मांग रहा है
नाग अभी भी जाग रहा है....

मरा हुआ मत उसे समझना
मुर्गा बनकर बांग रहा है....

पता चला आखिर कपटी का
जो दुश्मन का काग रहा है.....

रहा पनपता कारण इसका
गद्दारों
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हक दुश्मन से मांग रहा है ,<span>गजल</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह, बहुत अच्छी रचना!

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर लिखा। आदरणीय आपकी ग़ज़ल में आठ शेर हैं, ग़ज़ल में हमेशा शेरों की संख्या विषम होती है

कवितागजल

दीप जलाये

  • Edited 3 years ago
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  • 120
  • 4 Mins Read

उम्मीदों का दीप जलाये.....

उम्मीदों का दीप जलायें
सबको अपने गले लगायें...

प्रेमपूर्ण जीवन ही जीवन
कठिन पंथ पर कदम बढ़ायें....

द्वेष भाव अन्तर्मन में यदि
तत्पर होकर दूर भगायें....

जहर घोलते घूम रहे
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दीप जलाये ,<span>गजल</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

कवितागजल

राजा-रंक सभी फल ढ़ोते

  • Edited 3 years ago
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  • 90
  • 3 Mins Read

राजा-रंक सभी फल ढ़ोते...

लगा रहे बोतल में गोते
बोल रहे हैं रटकर तोते...

सावधान रहना ही होगा
दीवार के कान जो होते...

उनको मत इंसान समझना
जो जन में नफ़रत है बोते ....

पता सभी को इतना है ही
कहाँ लाभ नेता जी
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राजा-रंक सभी फल ढ़ोते ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

हुआ जा रहा गड़बड़झाला

  • Edited 3 years ago
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  • 101
  • 3 Mins Read

प्रिय सबको है केवल माला...

हुआ जा रहा गड़बड़झाला
प्रिय सबको है केवल माला....

उनकी इज्जत उन से पूछो
बदल रहे जो हर-दिन पाला....

ऐसी बन्दी से क्या मतलब
खुला हुआ है दर-दर हाला...

कैसे साफ दिखेगा दर्पण
जमा
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हुआ जा रहा गड़बड़झाला ,<span>गजल</span>
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