No Info Added By Writer Yet
#Followers 9
#Posts 60
#Likes 8
#Comments 42
#Views 8748
#Competition Participated 0
#Competition Won 0
Writer Points 44030
#Posts Read 70
#Posts Liked 10
#Comments Added 1
#Following 8
Reader Points 410
Section | Genre | Rank |
---|---|---|
कविता | गजल | |
कविता | दोहा |
London is the capital city of England.
कवितागीत
गीत...
माँ तुम्हारे रूप से निर्मित हुआ साकार हूँ।
देखती जो तुम रही उस स्वप्न का आकार हूँ।।
पूछता हूँ स्वयं से जब मैं धरा पर कौन हूँ।
माँ नहीं मिलता यहाँ उत्तर इसी से मौन हूँ।।
किंतु हूँ जो
Read More
कवितागीत
गीत...
आओ और सराहा जाये,
जिनके सपने बोल रहे हैं।
जो पथरीली उम्मीदों को,
श्रम से अपने रोल रहे हैं।।
उस बंधन से नाता तोड़ो,
जिनसे हैं सपने मर जाते।
टकराकर अन्तर्मन के हर,
राग सुकोमल हैं डर जाते।।
Read More
कवितागीत
गीत....
हाथ में खंजर लिए हिंसा कराना चाहते।
कौन हैं जो देश को मेरे जलाना चाहते।
स्वर्ग-सी धरती हमारी राग रंगत से भरी।
और रहती है सुवासित हर्ष पुष्पों से हरी।।
उर्वरा इस भूमि को बंजर बनाना चाहते।
Read More
कवितागीत
गीत....
मुरझाने से क्यों घबराना,
जब बागों में फिर है आना।
रूप मिले चाहे जो भी पर,
गीत हमें यह फिर है गाना।।
यह परिवर्तन ही है शाश्वत,
कौन अछूता इससे जग में।
सब हैं इस धरती पर राही,
सबको चलते रहना
Read More
कवितागीत
गीत... हो रहे हैं लोग...
हो रहे हैं लोग अपने, आप पर ही मुग्ध जब।
गीत कोई यूँ किसी का, क्यों सुनेगा बैठ अब।।
बज रही इन तालियाँ में, लोग खोते जा रहे।
लग रहा अच्छा जिसे जो, राग वह ही गा रहे।।
पूछता है
Read More
कवितालयबद्ध कविता
नहीं दे सके साथ... (शक्ति छंद)
नहीं दे सके साथ मेरा पिया।
इसी से जला ना सकी मैं दिया।।
रही हूँ तरसती लिए आस मन।
सजाते रहे स्वप्न बस तुम नयन।।
बताऊँ किसे वेदना कौन अब।
हँसेगें पता जानकर बात सब।।
Read More
कविताछंद
कुंडलिया छंद...
सुचिता का संदेश हो, उन्मुख जीवन कर्म।
मानव- मानव में रहे, जीवित मानव धर्म।।
जीवित मानव धर्म, द्वेष मद का निष्कासन।
निंदित दुष्ट विकार, करे ना हम पर शासन।।
अनुशासन कर्तव्य, बने जन
Read More
कवितागीत
गीत.. (मेरे नयना...)
मेरे नयना बरस रहे हैं,
रिमझिम-रिमझिम जैसे सावन ।
प्रिय तुम बिन लगता है मुझको,
सूना- सूना सा घर आँगन ।।
घोल रहा मधु बाग पपीहा,
कोयल कू कू गीत सुनाये ।
मधुवन की मोहक शीतलता,
Read More
कविताछंद
कुंडलिया छंद..
दूध पिलाना साँप को, होती घातक नीति।
दुर्जन करता है नहीं, कभी सुजन से प्रीति।।
कभी सुजन से प्रीति, हाथ लगते डस लेता।
लाख करो उपकार, जहर केवल वह देता।।
भूल रहे जो लोग, सीख यह याद दिलाना।
Read More
कविताछंद
कुंडलिया छंद...
होता लज्जा का रहा, सदियों से सम्मान।
आभूषण नारी बता, करते जन गुणगान।।
करते जन गुणगान, मानते इसको गौरव।
महके सारा विश्व, सुवासित पावन सौरव।।
संस्कृति का विध्वंस, देखकर मन है रोता।
Read More
कवितागीत
गीत.. ( कौन यहाँ पर ..)
कौन यहाँ पर किसे सुनाएं
हो उत्सुक जीवन की बातें।
कटने को दिन कट है जाता
पर मुश्किल से कटती रातें।।
अक्सर यादें आ आ करके,
गुजरे दिन में टहलाती हैं।
कुछ छूती हैं भाव सुकोमल
कुछ
Read More
कविताछंद
कुंडलिया छंद...
आशा हो मन में अगर, देती जीवन शक्ति।
आने यह देती नहीं, मन में कभी विरक्ति।।
मन में कभी विरक्ति, वक्त विपरीत भले हो।
तरह- तरह जंजाल, पड़ा हर-रोज गले हो।।
नहीं डराती रात, दिखे हर ओर
Read More
कविताछंद
कुंडलिया छंद....
जीना गर हो चाहते, पा सबका सम्मान।
रखना ही होगा हमें, देखो सबका मान।।
देखो सबका मान, बनोगे इससे न्यारा।
बोलेगें सब ठीक, दिखेगा दर्पण प्यारा।।
नहीं चुभेगा यार, किसी का खाना-पीना
सुख
Read More
कविताछंद
कुंडलिया छंद.....
भाई- भाई में रहे, बना सदा विश्वास।
स्वामी कोई हो नहीं, और न कोई दास।।
और न कोई दास, नहीं हो अपनी-अपना।
पूर्ण करें हर लोग, सभी का देखा सपना।।
हीन नहीं मन भाव, बंद गर कहीं कमाई।
बना
Read More
कविताअतुकांत कविता
पडोसी दुश्मन से युद्ध के समय हमारे देश के एक जवान का अपने साथियों से कथन...
हो जाओ तैयार साथियों...
हो जाओ तैयार साथियों,
समय आ गया अर्पण का।
देख हृदय अब टूट गया है,
मां के दुख से ,दर्पण का।
धैर्य नहीं
Read More
कविताअन्य
गीत (मैं दिल्ली हूँ दिल्ली )....
बहुत हो चुका अपना दिल तो मिलाओ
मैं दिल्ली हूँ दिल्ली, न मुझको जलाओ..
वो काफ़िर लुटेरा, वो गद्दार अपने
लिया छीन जिसने निगाहों के सपने
सहा दर्द मैंने सितम कितना ज्यादा
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल...
जो अपने है उनको पराया ना कर,
तू रिस्तो को हरदम हराया ना कर।
अगर चाहता है रहें सब महकते,
तो गुलशन की खुशबू चुराया ना कर।
नहीं जिनकी आदत खुशामदी करना,
यूँ खंजर से उनको डराया ना कर।
अमन-चैन का
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल...
राह में कुछ लोग अब भी मुस्कराते चल रहे,
लग रहा है इस तरह वह कुछ छुपाते चल रहे।
देखकर हैरान उनकी हरकतों से हूँ मगर,
जानता हूँ आग पानी में लगाते चल रहे।
यह तरक्की हो रही जो जेब से तो है नहीं,
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल...
मेरे सवाल पास में उनके पड़े हुए
देते नहीं जवाब है साहब अड़े हुए...
मशगूल इतने हो गये कि देखते नहीं
तकलीफ से बेज़ार हुए जो खड़े हुए...
माँ-बाप के सपनों से नहीं आज वास्ता
बेटों को कहाँ ध्यान
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल...
उनसे हमारी ये जो मुलाकात हो गई,
सबसे हसीन अपनी तो ये रात हो गई।
देखा तो लगा जैसे कहीं ख्वाब तो नहीं,
अच्छा ये हुआ दिल से सही बात हो गई।
गुलशन के महक फूल उठे छू लिया उन्हें,
मन में हजार सपनों
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल...
फिर से आँखें हुई सजल शायद
बन रही है कोई ग़ज़ल शायद....
देखकर भी नहीं देखा मुझको
ऐसा लगता गए बदल शायद...
ढूँढते फिर रहे वो महफिल में
खूबसूरत सी इक शकल शायद...
बेवफा उनको कह नहीं सकते
जिनपे
Read More
कवितालयबद्ध कविता
मैं किसान हूँ, वही अभागा...
मैं किसान हूँ, वही अभागा
जो ठोकर खा-खा ना जागा...
रहा अभावों में बस जीता
घावों को छिप-छिपकर सीता...
किया रात-दिन भू की पूजा
खाकर घुघिरी, चटनी, भूजा...
मडई, मेड़, बगल तरु सोया
उत्साहित
Read More
कवितागजल
प्रभु मन में उम्मीद जगा दो...
प्रभु मन में उम्मीद जगा दो
नयनों में सुचि स्वप्न सजा दो...
भटक न जाऊँ मैं दुनियां में
मुझको उत्तम राह दिखा दो...
कांप रहा तन वशीभूत भय
संशय, दुविधा दूर भगा दो...
डूब न जाये
Read More
कवितागजल
मुझे उनके आने का पैगाम देना...
मुझे उनके आने का पैगाम देना
यही इक मुहब्बत का इनाम देना..
भरोसा वफा का बहुत यार पर है
नहीं बेवफा का उसे नाम देना...
गुज़ारिश करो मत नहीं ये सुनेंगे
बुढ़ापे में खुद को
Read More
कवितागजल
ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है...
ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है
यह इसी से ही उलझती जा रही है...
कर रहा है आदमी खुद ही शिकायत
आदमी की प्रीति मरती जा रही है....
ख्वाहिशें होती कहाँ..पूरी यहाँ सब
उमर तो हर-रोज
Read More
कवितागजल
हमको फ़र्ज निभाना होगा....
हमको फ़र्ज निभाना होगा
अपना कर्ज़ चुकाना होगा...
जिस माटी ने दिया सहारा
उनको हृदय लगाना होगा...
अंधियारा से जूझ रहा घर
दीपक वहाँ जलाना होगा...
मायूसी से उबर नयन में
सपना
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल....
इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए
ज़िन्दगी जीने के लिए खास होना चाहिए...
है सही किस्मत सभी की एक सी होती नहीं
शीर्ष पाने का मगर उल्लास होना चाहिए...
बस परीक्षा बैठना काफी नहीं होता यहाँ
है
Read More
कवितागजल
ग़ज़ल....
बदला-बदला शहर हो गया...
बदला-बदला शहर हो गया
पानी उसका जहर हो गया...
इंसानों की बात नहीं यह..
शैतानों का बसर हो गया
हुए अपरिचित हम अपनों से
अनजानों का डगर हो गया ...
रहे समझते जिसको साथी
अवसरवादी
Read More
कवितागजल
बहरी क्यों सरकार आज है...
बहरी क्यों सरकार आज है
इतनी क्यों टकरार आज है...
कहाँ गया धरती का सेवक
दिखता बस दरबार आज है....
किया बग़ावत हक के ख़ातिर
भीषण फिर प्रतिकार आज है..
बिलख रहें जन हाथ पसारे
मिलता
Read More
कविताअतुकांत कविता
बटुआ की याद...
याद है मुझे वह दिन
जब मैं पहली बार
पैंट बदलने के चक्कर में
अपना काला बटुआ
पहले वाले पैंट में
भूल गया था
और जल्दबाजी में
निकल गया था अपने आफ़िस
इस बात से बेखबर हो
कि पटुआ पास में नहीं
Read More
कवितालयबद्ध कविता
हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों..
हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन..
शौर्य तुम्हारा अतुलित, तुम हिम्मतवाले
जज्बा वतन की रक्षा का हो मन में पाले
देखो, करता गर्व
Read More
कविताअतुकांत कविता
आओ मेरे जीवन साथी...
आओ मेरे जीवन साथी
साथ रहें हम यूँ ही हंसते
तब-तक सच में, जब-तक
इस जीवन की डोर जुड़ी है
और प्रेम अपना जीवित है
मन में हम दोनों के हरदम......
यद्यपि सच है जिम्मेदारी
झंझावातें इस जीवन
Read More
कवितागजल
भर-भर लोटा पिए जा रहे...
भर-भर लोटा पिए जा रहे
बनकर बोझा जिए जा रहे...
कहते थे देंगे सुख लेकिन
पीड़ा सबको दिए जा रहे...
खाया कसम नहीं छूने की
देखो कैसे छुए जा रहे...
हुआ अगर दिन कोई आतर
लगा सभी को मुए जा
Read More
कवितागजल
झूठ देख इंकार न कर...
झूठ देख इंकार न कर
बेमतलब टकरार न कर...
हो संवेदनशील नहीं
उत्तम वह सरकार न कर...
लूट रहे है जो जन को
उनपे और विचार न कर...
गर ढोंगी खद्दरधारी
उनका कभी प्रचार न कर...
जिनका ऊंचा सिंहासन
Read More
कवितागजल
पानी पर चलता है क्यों...
पानी पर चलता है क्यों
अपनो से जलता है क्यों...
नहीं रुकेगा धन-दौलत
सोच जरा छलता है क्यों...
ठीक नहीं जो काम लगे
उसको तू करता है क्यों...
जो दिखते ईद का चांद
उस पर यूँ मरता है क्यों...
Read More
कविताअतुकांत कविता
होता समय बड़ा बलवान.... (कविता)
रखना मानव इसका ध्यान
होता समय बहुत बलवान
रहता यह जब जिसके पास
वह ही उस पल होता खास
चतुर्दिशा में इससे सबने
पाया वैभव यश,सम्मान
होता समय बड़ा बलवान...
अगर समय का नहीं
Read More
कवितालयबद्ध कविता
शिक्षक महान है...
शिक्षक संसार में महान है
शिक्षक युग का स्वाभिमान है ....
शिक्षक एक सरस संगीत है
शिक्षक विद्यार्थी का मीत है ....
शिक्षक अंधकार में प्रकाश है
शिक्षक धरती पर आकाश है ....
शिक्षक जलता हुआ
Read More
कवितागजल
राम तुम्हें फिर आना होगा...
राम तुम्हें फिर आना होगा
अपना वचन निभाना होगा...
बढ़ते असुरों के प्रभाव से
धरती मुक्त कराना होगा...
अन्यायी, अत्याचारी पर
निर्दय शस्त्र उठाना होगा.....
नहीं छोड़ता यदि
Read More
कवितागजल
उपवन फूल खिलाना होगा...
उपवन फूल खिलाना होगा
मन में दीप जलाना होगा....
पथरीली राहों पर भी अब
अपना पांव बढ़ाना होगा...
सोये जो है भाग्य भरोसे
गहरी नींद जगाना होगा...
सुविचार सौन्दर्य जो निर्मल
अन्तस्
Read More
कविताअतुकांत कविता
दीप वह फिर से जलेगा...
युग-युगों से युग-युगों तक
सत्य के पथ पर निरन्तर
बांधने को तिमिर का क्षण
वह शिखर पर से ढ़लेगा
दीप वह फिर से जलेगा....
जो पराजित हो गये हो
वेदना से तप्त होकर
ज्योति अन्तर्मन
Read More
कवितागजल
मिलकर देश उठाओ ना..
रुपया पैसा खाओ ना
ऐसे मुँह बिचकाओ ना ...
चाह रहे वो जो खाना
उनको वही खिलाओ ना...
रूठ गए जो बेमतलब
उनको और मनाओ ना...
खुश होंगे जिससे साहब
गीत वही सब गाओ ना...
दिखा महल गाडी घोड़ा
बाबा
Read More
कवितागजल
छोड़ो झूठी बात बनाना...
छोड़ो झूठी बात बनाना
नहीं रुकेगा कपट कमाना..
मालुम तो है ही यह सबको
भरता नहीं है कभी खजाना...
ढ़ह जायेगा महल एक दिन
व्यर्थ ही होगा लूट सजाना.....
लाख छिपाओ नहीं छिपेगा
जिसे चाहते
Read More
कवितागजल
आलू का तो हाल न पूछो...
आलू का तो हाल न पूछो
टेढ़ी कितनी चाल न पूछो...
प्याज, टमाटर आँखें ताने
पीली क्यों है दाल न पूछो....
मिरिच, मसाला, तेल, लगौना
सबका फैला जाल न पूछो...
लूट रहे है जन को तनकर
निर्भय आज दलाल
Read More
कवितागजल
जनप्रतिनिधि इंसान करो...
लोकतंत्र का ध्यान करो
सब अपना मतदान करो...
यह अवसर सबसे अच्छा
अच्छे की पहचान करो...
रुपया, कपडा, दारू ना
वोट सदा विज्ञान करो....
सुने समस्या जो जन की
उसका ही गुणगान करो...
उत्तम
Read More
कवितानज़्म
गीत.....
हीन हो संवेदना से चल रहा है आदमी
सिर्फ ईर्ष्या-द्वेष में जल रहा है आदमी...
कामनायें दे रही पीड़ा निरन्तर मौन हो
जानते सब ही मगर पूछते कि कौन हो
आ शिखर पर मगर ढल रहा है आदमी
हीन हो संवेदना से
Read More
कवितानज़्म
गीत... (गीत-संग्रह से)
देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे ...
जाने कैसा असर था मुझपे उन निगाहों का
देखने लग भी गया ख्वाब उनकी बाहों का
गीत फिर हम भी एक मन में
Read More
कवितागजल
अच्छा होगा संवाद करो....
अच्छा होगा संवाद करो
कोई न व्यर्थ विवाद करो...
जो कथन स्वयं ही सीधा हो
उसका सीधा अनुवाद करो...
करता है कोई गलत अगर
मत डरो उठो फ़रियाद करो....
काटो हर थोथे बंधन को
जनमानस को आजाद
Read More
कवितागजल
हक दुश्मन से मांग रहा है....
हक दुश्मन से मांग रहा है
नाग अभी भी जाग रहा है....
मरा हुआ मत उसे समझना
मुर्गा बनकर बांग रहा है....
पता चला आखिर कपटी का
जो दुश्मन का काग रहा है.....
रहा पनपता कारण इसका
गद्दारों
Read More
बहुत सुंदर लिखा। आदरणीय आपकी ग़ज़ल में आठ शेर हैं, ग़ज़ल में हमेशा शेरों की संख्या विषम होती है
कवितागजल
राजा-रंक सभी फल ढ़ोते...
लगा रहे बोतल में गोते
बोल रहे हैं रटकर तोते...
सावधान रहना ही होगा
दीवार के कान जो होते...
उनको मत इंसान समझना
जो जन में नफ़रत है बोते ....
पता सभी को इतना है ही
कहाँ लाभ नेता जी
Read More
कवितागजल
प्रिय सबको है केवल माला...
हुआ जा रहा गड़बड़झाला
प्रिय सबको है केवल माला....
उनकी इज्जत उन से पूछो
बदल रहे जो हर-दिन पाला....
ऐसी बन्दी से क्या मतलब
खुला हुआ है दर-दर हाला...
कैसे साफ दिखेगा दर्पण
जमा
Read More