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दोहा - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितादोहा

दोहा

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  • 5 Min Read

दोहा...

रामनाम औषधि जगत, महिमा अपरम्पार।
जिह्वा पर आते टरे, व्याधि सकल संसार।। 1

धन वैभव से पूछिए, अंत समय क्या साथ।
राम राम कहते रहो, हर-पल इनका हाथ।। 2

ज्ञान मिले यह कामना, हो सत का आभास।
करना मन निर्मल प्रभु, महके सहज सुवास।। 3

राम रसायन जो लिया, वह माया से दूर।
रामनाम के जाप में, मिलता रस भरपूर।। 4

उलझा जो सुलझा नहीं, सुलझा कहता राम।
सिर्फ दवाई एक जग, मुफ्त नहीं है दाम।। 5

घट-घट रमते राम है, कहता वेद पुराण।
ज्ञानी दर्शन चाहता, मूरख सिर्फ प्रमाण।। 6

लीला करते राम जी, धरकर मानव रूप।
कार्य सदा करते वही, होता विधि अनुरूप।। 7

करें शक्ति आराधना, शिव का मन में ध्यान।
समझ नहीं सकता कभी, मानव का विज्ञान।। 8

तीन लोक चौदह भुवन, स्वामी है श्री राम।
मुक्त अधम भी हो गये, लेकर प्रभु का नाम।। 9

विनती चरणों में सुनो, महाबली हनुमान।
चूर-चूर करना अगर, हो कतिपय अभिमान।। 10

डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'
(बस्ती उ. प्र.)
दिनांक 20-01-2021

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत खूब लिखा है।

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत खूब

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

जयश्री राम

प्रपोजल
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