कवितादोहा
दोहा...
रामनाम औषधि जगत, महिमा अपरम्पार।
जिह्वा पर आते टरे, व्याधि सकल संसार।। 1
धन वैभव से पूछिए, अंत समय क्या साथ।
राम राम कहते रहो, हर-पल इनका हाथ।। 2
ज्ञान मिले यह कामना, हो सत का आभास।
करना मन निर्मल प्रभु, महके सहज सुवास।। 3
राम रसायन जो लिया, वह माया से दूर।
रामनाम के जाप में, मिलता रस भरपूर।। 4
उलझा जो सुलझा नहीं, सुलझा कहता राम।
सिर्फ दवाई एक जग, मुफ्त नहीं है दाम।। 5
घट-घट रमते राम है, कहता वेद पुराण।
ज्ञानी दर्शन चाहता, मूरख सिर्फ प्रमाण।। 6
लीला करते राम जी, धरकर मानव रूप।
कार्य सदा करते वही, होता विधि अनुरूप।। 7
करें शक्ति आराधना, शिव का मन में ध्यान।
समझ नहीं सकता कभी, मानव का विज्ञान।। 8
तीन लोक चौदह भुवन, स्वामी है श्री राम।
मुक्त अधम भी हो गये, लेकर प्रभु का नाम।। 9
विनती चरणों में सुनो, महाबली हनुमान।
चूर-चूर करना अगर, हो कतिपय अभिमान।। 10
डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'
(बस्ती उ. प्र.)
दिनांक 20-01-2021